कानपुर, बांकेबिहारी प्रोडक्शन के बैनर पर बनी शार्ट
फिल्म स्मैक की रिलीज पर एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया । मनोवैज्ञानिक आराधना
गुप्ता द्वारा फिल्म रिलीज की गयी।
युवा मन को जोश व् उमंग की उम्र कहा जाता है इसी
उम्र में युवाओ द्वारा लक्ष्य साधा जाता है, पर
दुर्भाग्यवश युवाओं की नसों में जोश कम नशा तैरता ज्यादा दिखाई दे रहा है।स्मैक का
कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा और जिले की युवा पीढ़ी नशे की आदी होती जा रही,कहा जाता है
जिस
देश की जवानी जानदार होती उस देश का भविष्वाणी शानदार
होती हैं। यह तभी संभव है जब वे स्वस्थ हों।

आज की फिल्म "स्मैक',"सट्टेबाज" के बाद श्याम तिवारी एक और सामाजिक
मुद्दे वाली फिल्म लेकर आये है इस बार और भी संवेदनशील विषय
है.

फिल्मे सामाजिक मुद्दों के प्रति लोगों को जागरूक करने का महत्वपूर्ण तरीका है और उन्होंने हमेशा इसी धारणा को ध्यान में रखते हुए मनोरंजक फिल्में बनायीं ।



फिल्मे सामाजिक मुद्दों के प्रति लोगों को जागरूक करने का महत्वपूर्ण तरीका है और उन्होंने हमेशा इसी धारणा को ध्यान में रखते हुए मनोरंजक फिल्में बनायीं.
फिल्म में युवाओ के नशे की लत में फसने और नशे तक
युवाओ की आसान पहुँच , नशे के सौदागरों के शहर में फैले जाल तथा जिम्मेदार पुलिस की भूमिका
पर फोकस किया गया है फिल्म की शूटिंग कानपुर मर की गई है फिल्म में स्थानीय
कलाकारों को अपनी अदाकारी दिखाने का अवसर दिया गया है
एक्टिंग पर क्या ही बात करें! मुख्य कलाकारों से
लेकर सपोर्टिंग कास्ट तक सब शानदार हैं. श्याम तिवारी तो कमाल हैं ही,
श्याम तिवारी ने निर्देशन का काम शानदार तरीके से किया है। उन्होंने बेहतरीन लोकेशन चुनी और फिल्म को रियलिस्टिक लुक दिया है। किरदार को 'हीरो' जैसा न रखते हुए एकदम सामान्य रखा है ।
श्याम तिवारी ने निर्देशन का काम शानदार तरीके से किया है। उन्होंने बेहतरीन लोकेशन चुनी और फिल्म को रियलिस्टिक लुक दिया है। किरदार को 'हीरो' जैसा न रखते हुए एकदम सामान्य रखा है