
कानपुर नगर, संचारी रोग चूहो एवं छछूंदर द्वारा भी फैलता है इसलिए कृषि विभाग द्वारा एक अभियान चलाकर उनके नियंत्रण पर प्रभावी कदम उठा रहा है तथा किसानो को भी यह जानकारी दी जा रही है साथ ही इसके नियंत्रण और उपाय के बारे में बताया जा रहा है।
चूहों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए अन्न भण्डारण, पक्की कंकरीट तथा धातु से बने पात्रों में करना चाहिए ताकि उनको भोज्य पदार्थ सुगमता से उपलब्ध न हो वहीं चुहे अपना बिल झाडियों, कूडों एवं मेढो आदि में स्थायी रूप से बनाते है। खेतों का समय समय पर निरीक्षण एवं साफ-सफाइ करना जरूरी है। चूहो के प्राकृतिक पशुओं बिल्ली, सांप, उल्लू, लोमडी, बाज एवं चमगादड द्वारा चूहों को भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है। इनको संरक्षण देने से चूहो की संख्या पर नियंत्रिण पाया जा सकता है। घरों में ब्रोयोडियोलाॅन 0.005 प्रतिशत के बने चारे की दस ग्राम मात्रा प्रत्येक जिंदा बिल में रखने से चूहे उसको खाकर मर जाते है। एल्युमीनियम फास्फाइड दवा की तीन से चार ग्राम प्रति जिदा बिल में डालकर बिल बंद कर देने से उसमें निकलने वाली फास्फीन गैससे चूहे मर जाते है। चूहा बहुत चालाक प्राणी है। इसको ध्यान में रखते हुए 6 दिवसीय योजना बनाकर इसको आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। आवासीय घरों में आसपास के क्षेत्रों का निरीक्षण एवं बिलों को बंद करते हुए चिन्हित करें। बताया गया कि खूले बिल में एक भाग सरसों का तेल एवं 48 भाग चुने दाने का चारा बिना जहर मिला बिल में रखें, बिलो का निरीक्षण करें एवं मरे हुए चूहों को एकत्र कर आवादी से दूर जमीन में डाल दें। यही प्रक्रिया छछूंदर से साथ भी अपनाई जाती है।