
कानपुर,पद्मश्री से सम्मानित लेखक,कथाकार,नाटककार और आलोचक साहित्यकार गिरिराज किशोर ने रविवार सुबह अपने निवासमें अंतिम साँस ली ।उनके निधन पर सहित्य जगत में गहरा शोक।वे वर्तमान में कानपुर के शूटरगंज में रहते थे।उनको पहला गिरमिटिया उपन्यास मिला था पद्मश्री।
वह मूलरूप से मुजफ्फर नगर के निवासी थे।किशोर जी के दो बेटियां और एक पुत्र है। तीन माह पहले उनके कुल्हे में चोट लग गई थी तब से वह बीमार चल रहे थे। रोज की तरह सुबह नाश्ता किया कुछ देर बाद अचानक तबियत ख़राब हो गई और लगभग 10 बजे निवास पर ही उन्होंने अंतिम साँस ली।उपन्यास ढाईघर के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया।शहर के बड़े साहित्यकार, पत्रकार, जनप्रतिनिधि और आम लोगों सहित श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा रहा। उन्होंने अपना शारीर दान क्र रखा था इसलिए सोमवार सुबह 10 बजे मेडिकल कॉलेज में शरीर दान की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
जीवन परिचय
गिरिराज जी का जन्म 8 जुलाई 1937 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरर नगर में हुआ, इनके पिता ज़मींदार थे। गिरिराज जी ने कम उम्र में ही घर छोड़ दिया और स्वतंत्र लेखन किया।
शिक्षा : मास्टर ऑफ सोशल वर्क 1960, समाज विज्ञान संस्थान, आगरा
अनुभव : 1960 से 1964 तक सेवायोजन अधिकारी व प्रोबेशन अधिकारी, उ.प्र. सरकार
1964 से 1966 तक इलाहाबाद में स्वतन्त्र लेखन
जुलाई 1966 से 1975 तक कानपुर विश्वविद्यालय में सहायक और उपकुलसचिव के पद पर सेवारत।
दिसं.1975 से 1983 तक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर में कुलसचिव।
1983 से 1997 तक वहीं पर रचनात्मक लेखन केन्द्र के अध्यक्ष। 1 जुलाई 1997 अवकाश ग्रहण। रचनात्मक लेखन केन्द्र उनके द्वारा ही स्थापित।
उपलब्धियां
फैलोशिप : संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की एमेरिट्स फैलोशिप - 1998-1999। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, राष्ट्रपति निवास शिमला में फैलो - मई 1999 -2001
राष्ट्रपति द्वारा 23 मार्च 2007 में साहित्य और शिक्षा के लिए पद्मश्री से विभूषित
मानद्: 2002 में छञपति शाहूजी महाराज वि.वि कानपुर द्वारा डी.लिट. की मानद् उपाधि।
साहित्य अकादमी, नई दिल्ली की कार्यकारिणी के सदस्य
हिन्दी सलाहकार समिति, रेल्वे बोर्ड के सदस्य
संप्रति: स्वतन्त्र लेखन और संपादन 'अकार'
सम्मान
- उ.प्र.हिंदी संस्थान द्वारा चेहरे - चेहरे किसके चेहरे नाटक पर भारतेन्दु सम्मान
- परिशिष्ट उपन्यास पर म.प्र. साहित्य कला परिषद का बीर सिंह देवजू सम्मान
- ढाई घर उपन्यास पर साहित्य अकादमी पुरस्कार,
- उ.प्र.हिंदी संस्थान का साहित्यभूषण
- भारतीय भाषा परिषद का शतदल सम्मान
- पहला गिरमिटिया उपन्यास पर के.के. बिरला फाउण्डेशन द्वारा व्यास सम्मान
- उ.प्र.हिंदी संस्थान का महात्मा गाँधी सम्मान
- उ.प्र.हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा हिंदी सेवा के लिए प्रो॰बासुदेव सिंह स्वर्ण पदक
- जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में आयोजित सत्याग्रह शताब्दी विश्व सम्मेलन में सम्मानित।
- 2007 में भारत सरकार द्वारा भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया।