
आलम.अंसारी
सेउता/सीतापुर
प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम के सम्बोधन मे देश को 14 अप्रैल तक लाकडाउन करने का ज्यों ही निर्देश प्राप्त हुए प्रशासन तुरंत एक्शन में आ गया ऐसा ही देखने को मिला है कस्बा सेउता में, बताते चलें कि 25 मार्च को सुबह उपनिरीक्षक विजय मिश्रा थाना रेउसा के नेतृत्व में कस्बे वासियों को गली गली, मोहल्लों में जाकर माईक द्वारा एलाउन्स कर लाकडाउन के सम्बन्ध में जानकारी दी गई । बताते चलें कि कस्बा व्यापारिक दृष्टि के साथ साथ मां सोनासरि देवी मन्दिर के कारण बहुत ही प्रसिध्द है। जिसके बारें में कुछ संक्षिप्त जानकारी इस प्रकार है-
सनातन परंपरा में नवरात्रि का विशेष महत्व है,शक्ति की आराधना का पर्व है ये जो हमे जीवन सुख समृद्धि और शांति की शक्ति देता है,भागवत पुराण वर्ष में 4 नवरात्रि की मान्यता देता है लेकिन इसमें से 2 नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि के रुप मे माना जाता है और शारदीय और चैत्र नवरात्रि का ही सामान्य रूप से पालन किया जाता है,
इनमे में भी आज से आरंभ हो रहे चैत्र नवरात्रि का अपने आप में विशेष महत्व है,इसको धार्मिक के साथ ही ज्योतिषीय दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है,क्योकिं इस नवरात्रि के दौरान सूर्य का राशि परिवर्तन होता है,सूर्य 12 राशियों में भ्रमण पूरा करते है और इस दौरान फिर से प्रथम राशि मेष में प्रवेश करते है,सूर्य और मंगल की राशि दोनों ही अग्नि तत्व वाले है इसलिए इनके संयोग से गर्मी का आरंभ होता है,इसी दिन से वर्ष के राजा ,मंत्री सेनापति, वर्षा ,कृषि,धन,व्यापार, और सुख शांति आदि का आकलन होता है,नवरात्रि में देवी और ग्रहों की पूजा आराधना का कारण ये भी है कि ग्रहो की स्थिति अनुकूल रहे और भक्तों के बीच दूरी बढ़ा दी है लोगो ज़िले के गांजरी अंचल रेउसा विकास खण्ड का एक प्रमुख गाव है सेउता जिसके नाम से अब विधानसभा भी है ,तकरीबन 16 हजार की आबादी वाला गाँव ज़िले का बड़ा गाव बड़ा ऐतिहासिक महत्व समेटे हुए है,जब लोग आल्हा की पंक्तियों को गुनगुनाते है तो यहां की सोनासरी देवी के नाम का खूब जिक्र आता है,मान्यता है कि सेउता का ये देवी मंदिर सदियों पूर्व आल्हा की पत्नी सोनवा द्वारा स्थापित किया गया ,इस प्राचीन मंदिर का विवरण फ़ारसी की किताब वाजिब उल अर्स दस्ताने गांजर में भी मिलता है,प्राचीन ग्रंथों के अनुसार ये इलाका बबुरी वन था जहा आल्हा उदल युद्ध करने के लिए आये थे ,और सेउता का ये स्थान बिरियागढ़ के नाम से जाना जाता था ,आज भी इस इलाके में बबुरी के पेड़ और सेउता कस्बे में ऊंचे नीचे टीले और पुराने जीर्ण शीर्ण भवन इसके सबूत है,आल्हा की वीर गाथा में इसका काफी जिक्र मिलता है,मंदिर के अंदर देवी पिंडी रूप में विराजमान है कोई मूर्ति नही है,एक काले पत्थर की लाट है,जिसके ऊपर दाहिने हाथ की उंगलियों के निशान साफ दिखाई देते है,जिन्हें आल्हा की उंगलियों के निशान बताया जाता है,
यहाँ के लोगो के अनुसार वर्षो पहले स्थानीय ग्रामीण संत सिंह द्वारा अपने घर की खुदाई करवाई जा रही थी,तभी अचानक एक बड़ी सुरंग दिखाई पड़ी,जिसकी खुदाई लगभग 10फीट तक की गई,उसके बाद उसे बंद कर दिया गया,और उसे मिट्टी से पटवा दिया गया,इस खुदाई से मिली इंटे और नींव इसकी पहचान है, कि ये सबूत श्रावस्ती के स्थान सहेट महेट की नींव ईट से हूबहू मेल खाते है जिससे इसके अशोक कालीन होने का प्रमाण मिलता है,मंदिर के गर्भ गृह के बाहर परिसर में बद्रीनाथ लक्ष्मी नारायण का मंदिर भी बड़े आकर्षण का केंद्र है और मुख्य द्वार पर अर्जुन और श्री कृष्ण की प्रतिमा बनी हुई है,
केवल गांजरी अंचल ही नहीं बल्कि सीतापुर बहराइच और बाराबंकी के बहुत से इलाकों के अलावा दूर दूर तक इस मंदिर की बड़ी मान्यता है ,प्रत्येक अमावस्या और बसंत की भी यहां बड़ा मेला लगता है ,इसके अलावा दोनों नवरात्रि में भी यहां भक्तो की भरी भीड़ आती है ,लोगो का अगाध विश्वास है कि इस स्थान पर सच्चे दिल से मांगी गई मुराद कभी भी खाली नहीं जाती,मुंडन और विवाह जैसे तमाम मांगलिक कार्यक्रम भी यहां होते है,
लेकिन इस मंदिर को लेकर सबसे बड़ी मान्यता ये है कि यहां चांदी की आंख चढ़ाने से किसी भी तरह के नेत्र रोग ठीक हो जाते है,नवरात्रि के दिनों में दंड परिक्रमा करके आने वाले भक्तो कि भी बड़ी संख्या यहां देखी जा सकती है,
हालांकि इतने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के बाद भी इस मंदिर तक जाने के लिए गाब के अंदर होकर जाना पड़ता है जहां काफी गंदगी रहती है ,मंदिर की वार्षिक आमदनी करीब 4लाख रुपए है साथ ही इसके साथ 24बीघा कृषि भूमि भी है लेकिन इसके बाद भी जिस तरह से इसका विकास होना चाहिए वो नहीं हो सका है हालंकि हर नेता मा के प्रति अपनी असीम श्रद्धा का प्रदर्शन करता है,
लेकिन इन सबके बाद भी इस स्थल का बड़ा धार्मिक महत्व है ,मा के दर्शन कर एक अलौकिक शांति का अनुभव होता है , कोरोना के कहर के8 बाद आप भी यहां आये और दर्शन का कार्यक्रम अवश्य बनाए और अगर किसी को नेत्र संबंधी समस्या है तो उसकी यहां जाने और दर्शन करने की सलाह देना भी न भूले ।आपको बताते चलें कि कस्बा में आर्यवर्त बैंक स्थित है जहाँ पर अधिक तर लोगों का जरूरी काम से आना जाना लगा रहता है एवं वहां पर भयावह भीड़ रहती है प्रशासन को चाहिये कि बैंक में आने वाले व्यक्तियों को सैनेटाइज से हाथ धुलवाकर व मास्क की उपलब्धत करायें जाने के बाद ही उसके अन्दर प्रवेश दिया जाना चाहिए ।