
कानपुर नगर, कानपुर शहर ही नहीं प्रदेश के अपराधियों में बड़ा नाम था मोनू पहाड़ी उर्फ राशिद। कानपुर नगर व् आसपास उसके नाम का था खौफ़ उसका नाम सुनकर बड़े से बड़ा अपराधी कांप उठता था कानपुर में आतंक का दूसरा नाम रहे कुख्यात अपराधी शार्प शूटर मोनू पहाड़ी की देर रात हुए कैदियों और जेलकर्मियों के बीच खूनी संघर्ष में की मौत हो गयी है। वहीं मुन्ना खालिद, छुन्ना समेत एक दर्जन कैदी और डिप्टी जेलर जगदीश प्रसाद समेत आधा दर्जन से अधिक जेल कर्मी घायल हुए हैं।
घायलों को इलाज के लिए सैफई मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया है। वहीं मृतक कैदी मुन्ना पहाड़ी के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। जिलाधिकारी जितेंद्र बहादुर सिंह ने मामले की जांच के लिए मजिस्ट्रियल इंक्वायरी के आदेश दिए हैं। डीआईजी जेल वीपी त्रिपाठी तड़के सुबह जेल में मामले की जांच करने पहुंचे है।
बीते बुधवार देर शाम जेल बन्द होने के दौरान कैदियों के गुट आपस में भिड़ गए थे, जिसके बाद जेलकर्मियों ने बीच-बचाव करने का प्रयास किया तो कैदियों ने जेलकर्मियों पर हमला बोल दिया। पूरे घटना क्रम में डिप्टी जेलर जगदीश प्रसाद समेत कई जेलकर्मी और कैदी छुन्ना,मुन्ना खालिद और मोनू पहाड़ी समेत एक दर्जन कैदी घायल हुए। इलाज के दौरान कैदी मोनू पहाड़ी उर्फ राशिद की मौत हो गयी। कैदी की मौत के बाद जेल प्रशासन के हाथ पांव फूल गए। लेकिन देर रात मृतक कैदी मोनू पहाड़ी उर्फ राशिद के शव को पुलिस प्रशासन जिला अस्पताल ले गया, जहाँ पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
जिला अस्पताल के डॉक्टरों की मानें तो देर रात कैदी मोनू पहाड़ी को जिला अस्पताल में मृत अवस्था में ही लाया गया था। मामले की जानकारी मिलने के बाद तड़के सुबह जिलाधिकारी जितेन्द्र बहादुर सिंह और एसएसपी आकाश तोमर जेल में निरीक्षण करने पहुंचे है। जिलाधिकारी जेबी सिंह ने मामले की जांच के लिए मजिस्ट्रियल इंक्वायरी के आदेश दे दिए है और एडीएम ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव को जांच करने के लिए कहा गया है। उसके बाद डीआइजी जेल वीपी त्रिपाठी भी पहुंचे है। जिलाधिकारी जितेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि मामले की जांच के लिए मजिस्ट्रियल इंक्वायरी के आदेश दे दिए गए है। एडीएम ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव मामले की जांच कर रहे है।
मोनू पहाड़ी की मौत के बाद अब कानपुर के व्यापारियों ने राहत की साँस ली होगी । कानपुर के लिए अपराध और आतंक का दूसरा नाम बना मोनू पहाड़ी बचपन से ही अपराधिक मानसिकता का रहा कहना गलत नही होगा। उसको पुलिस ने सबसे पहले बार जब पकड़ा था तो उसकी उम्र मात्र 16 साल थी। नाबालिग होने की स्थिति में उसको बाल सुधार गृह में रखा गया था।
लेलपुरवा थाना अनवरगंज निवासी मोनू पहाड़ी पर दो दर्जन से अधिक मामले कानपुर नगर में दर्ज थे।
कानपुर के अपराध जगत में कम उम्र का हिस्ट्रीशीट में आ गया था मोनू पहाड़ी के नाम । मात्र 16 वर्ष की आयु में ही मोनू पहाड़ी जरायम की की दुनिया में आ चूका था। उसके पिता नासिर अली ली रिक्शा कंपनी थी और उसके दो अन्य भाई नाजिम और आशु भी है जो पुलिस के खौफ से मुंबई शिफ्ट हो चुके है।
19 अगस्त 2014 को एसटीऍफ़ ने उसको ब्रह्मदेव मंदिर के पास घेर लिया था और आत्मसमर्पण करने को कहा था। इस बीच उसने पुलिस पर ही हमला कर दिया था और बीके लेकर भागने वाला था कि उसकी बाइक फिसलकर गिर पड़ी और एसटीऍफ़ के हत्थे पड़ गया। जिसके बाद अदालत ने इसको 2016 में अदालत ने पुलिस पर हमले का दोषी करार देते हुवे 7 साल कैद-ए-बामुशक्कत की सजा सुनाई थी।