उत्तर प्रदेश के कानपुर में बिरहाना रोड स्थित ऐतिहासिक तपेश्वरी मंदिर में भक्त चार देवियों की पूजा करते हैं।
मान्यता है जिन महिलाओं की गोद सूनी होती है, वे यहां आकर हाजिरी लगाएं तो उनकी मुराद मातारानी की कृपा से पूरी हो जाती है। इसी के चलते इस मंदिर पर पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं छोटे-छोटे बच्चों को लेकर आती हैं और उनका मुंडन और कनछेदन करवाती हैं।
बिरहाना रोड पटकापुर स्थित मां तपेश्वरी देवी का मंदिर रामायणकाल से जुड़ा है। मान्यता है कि इस मंदिर में माता सीता ने आकर तप किया था और लव कुश के मुंडन और कनछेदन का शुभ कार्य भी यहीं किया गया था। माता सीता बिठूर से आकर इस मंदिर में तप करती थीं। यहां पर एक मठ भी निकला जिसको माता सीता के नाम से जाना जाता है।
हर दिन यहां हजारों भक्त दर्शन को आते हैं। जिन दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति नहीं होती, वे यहां आकर चारों देवियों के दर पर माथा टेकते हैं। मातारानी की कृपा से बहुत जल्द ही उनके आंगन में बच्चे की किलकारियों की गूंज सुनाई देती है और वे उन्हें लेकर मंदिर आते हैं और विधि-विधान से मुंडन और कनछेदन करवाते हैं।
सैकड़ों साल पहले मां सीता कानपुर के बिठूर कस्बे में ठहरी थीं। यहीं पर लव और कुश का जन्म हुआ था। मां सीता ने भगवान राम को पाने के लिए यहां पर तप किया था। मां सीता के साथ 3 अन्य कमला, विमला आदि महिलाओं ने तप किया था। इसी के चलते इसका नाम 'तपेश्वरी मंदिर' पड़ा। इस मंदिर पर 4 देवियां कमला, विमला, सरस्वती और मां सीता विद्यमान हैं, मगर ये कोई नहीं जानता कौन-सी मूर्ति किसकी है? ये रहस्य आज भी बना हुआ है कि इन चारों मूर्तियों में कौन-सी मूर्ति माता सीता की है?
रिपोर्ट: डॉ हिमांशु मिश्रा
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