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इस शिव मंदिर के आगे वैज्ञनिकों नें भी टेके घुटने, आस्था व विज्ञान का अद्भुत संगम

 


भारत अपने कला कौशल साहित्य एवं पुरातन वैज्ञानिक आधार के कारण संपूर्ण विश्व को सदैव आश्चर्य में डालता रहा है। यहां की आस्था के साथ वैज्ञानिकता का अद्भुत संगम है। यहां पर ऐसे अनेकों मंदिर मस्जिद एवं स्थान हैं जहां के चमत्कारिक शक्तियां एवं गुणों की व्याख्या करने में संपूर्ण विश्व के वैज्ञानिक भी असमंजस में पड़ जाते हैं।

तमिलनाडु के तंजौर में स्थित बृहदेश्वर मंदिर इसका जीता जागता उदाहरण है। मंदिर वास्तुकला, पाषाण व ताम्र में शिल्पांकन, चित्रांकन का बेजोड़ नमूना है। वर्तमान वैज्ञानिक काल युग में भी इस तरह के मंदिर या बिल्डिंग बनाना असंभव है।

 हमारे देश में एक ऐसा मंदिर है, जो सिर्फ पत्थरों पर पत्थर रख कर बनाया गया है।बिना चूने, सीमेंट या मिट्टी का प्रयोग किए इस मंदिर का निर्माण हुआ है। इसकी ऊंचाई 216 फीट है और जो पिछले 1000 सालो से बिना झुके खड़ा है।

परिचय - इस विराट मंदिर का नाम है, बृहदेश्वर मंदिर, जो कि तंजावुर, तमिलनाडु राज्य में स्थित है। ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसका निर्माण चोल राजा राजा चोल द्वारा 1010 ईसा मे पूर्ण कराया गया।

1 - मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जिसकी ऊंचाई 216 फीट है। मंदिर चारो ओर से ऊंची दीवारों से घिरा है, जो कि 16 वी शताब्दी में जोड़ी गई। परिसर का मुख्य द्वार (गोपुरम) लगभग 30 मीटर ऊंचा है, इसके अतिरिक्त परिसर में नंदी मंडप, प्रार्थना मंडप तथा अन्य देवी देवताओं के लिए भी मंदिर बने है, जो कि कालांतर में अन्य राजाओं द्वारा जोड़े गए है।

2 - ये दुनिया की प्रथम और एकमात्र ऐसी इमारत है जो पूरी तरह ग्रेनाइट पत्थरों से बनी है, इसको बनाने में 1.3 लाख टन पत्थर का इस्तेमाल हुआ।

आश्चर्य की बात ये है कि मंदिर परिसर के लगभग 60 किमी के दायरे में कोई पहाड़ या पत्थर का स्त्रोत नहीं है, पत्थरों को यहां तक लाने के लिए 3000 हाथियों का प्रयोग किया गया।

3 - जिस समय ये मंदिर बन कर तैयार हुआ उस समय ये दुनिया की सबसे ऊंची इमारत थी, जो विश्व में हमारी स्थापत्य कला का लोहा मनवाने में सक्षम है। इसे बनवाने में मात्र सात वर्ष का समय लगा जो अद्भुत है।

4 - मंदिर के शिखर (विमान) पर स्थापित पत्थर (कुंभम) का वजन 81 टन है जो कि एक ही पत्थर को काट कर बनाया गया है। इस पत्थर को 200 फीट की ऊंचाई पर स्थापित करना मॉडर्न तकनीकों से भी मुश्किल है तो फिर इसे 1000 साल पहले हमारे पूर्वजों ने कैसे संभव किया?

5 - इस पत्थर को स्थापित करने के लिए 6 किमी ऊंचा एक रैंप तैयार किया गया जिस पर हाथियों कि सहायता से इसे खींच कर ऊपर तक पहुंचाया गया, आप इसके निर्माण की भव्यता का अंदाज़ा केवल इस एक घटना से ही लगा सकते है।

6 - नंदी मंडप में स्थित नंदी कि प्रतिमा की ऊंचाई लगभग 13 फीट और लंबाई 16 फीट है, जो कि एक ही चट्टान को काट कर निर्मित किया गया है।

7 - गर्भ ग्रह में स्थित शिवलिंग देश के सबसे बड़े शिवलिंगों में से एक है, जिसकी ऊंचाई 29 फीट है।

8 - इस मंदिर का निर्माण पत्थरों कि इंटरलॉकिंग तकनीक द्वारा किया गया है तथा चूने अथवा अन्य किसी पदार्थ से जुड़ाई नहीं की गई ।

9 - दीवारों तथा मंडपो पर सर्वत्र मूर्तियां, चित्र व तमिल व संस्कृत अभिलेख खुदे हुए है।

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