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कवि मोहन मुन्तजिर की पुस्तक "फिर किसी से मिलाएंगे नजरें" का विमोचन सम्पन्न

 


कानपुर नगर
। कर्णधार क्लब और मानव चेतना धर्म काव्य समिति के तत्वावधान में आज दिल्ली के प्रख्यात कवि मोहन मुन्तजिर की पुस्तक "फिर किसी से  मिलाएंगे नजरें" का विमोचन  वरिष्ठ शिक्षाविद डॉ अंगद सिंह ने किया, उन्होंने कहा कि मोहन मुन्तजिर युवाओं में बहुत लोकप्रिय हैं सोशल मीडिया में उनके लाखों फालोवर हैं अपनी पुस्तक में उन्होंने जीवन की समस्त परिस्थितियों को शब्दबद्ध किया, अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में कवयित्री प्रीति आशुतोष शुक्ला ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की, कवि डॉ मनोज गुप्ता ने अपनी रचनाओं में भगवान राम के गुणों का वर्णन किया-

हास्य कवि अमित ओमर ने रचना पढ़ी- न तेरे भाई न ही डैड से मैं डरता हूँ जानेमन बस कभी होना न सैड डरता हूँ, चाहता मैं भी हूँ घूमा दूं तुम्हे पूरा शहर, योगी के रोमियो स्क्वाड से मैं डरता हूँ।

संचालन करते हुए ओज के कवि गौरव अवस्थी ने पढ़ा- युद्ध और बुद्ध तथा शांति और क्रांति के,दोनों मार्ग खुले हुए एक चुन लीजिए, कटुता कलुष और भाईचारा प्रेम में,मन को जो भाए वही ताना बुन लीजिए। 

युवा दिलों की धड़कन कवि मोहन मुन्तजिर ने कहा कि मुझको नहीं जाना उस पार अपना तो हिंदुस्तान बढ़िया

वहां गोरों की होगी सरकार अपना तो हिंदुस्तान बढ़िया। गिर गिर के खुद को उठाने में मजा आता है, इसलिए ठोकरें खाने में मजा आता है। 

इस अवसर पर आरती दीक्षित, रजत आदित्य, डॉ सविता मिश्रा, अभिषेक दीक्षित, पूनम पांडेय,  रमन, मनीष पांडेय, सिद्धार्थ यादव, दीपक श्रीवास्तव, श्यामवीर सिंह, राघव शुक्ला, रोहित द्विवेदी, गौरव दीक्षित, अंकिता, अनिल मिश्र, पवन अवस्थी आदि उपस्थिति रहे ।

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