रिपोर्ट: शत्रुघन सिंंह
- पैदल राहगीरों के लिए बना फुटपाथ हुआ अतिक्रमण का शिकार
- जिम्मेदारों को जिले में पार्किंग स्थल बनाने में नहीं दिखती रुचि
- सौंदर्यीकरण के नाम पर पानी की तरह बहा दिए रूपये
उरई/जालौन। नगर पालिका व ट्रैफिक पुलिस की उदासीनता के चलते शहर की सड़कों पर पैदल चलना भी मुश्किल हो गया। हालात ये हो गए कि बाजार से होकर गुजरने वाले वाहनों की वजह से लोगो को बेतहाशा जाम से जूझना पड़ता है। जहाँ एक तरफ लोगों की सहूलियत के लिए नगर में पैदल राहगीरों के लिए फुटपाथ बनाये गए। वहीं अतिक्रमणकारियों के लिए मानों सुनहरा अवसर मिल गया। और फुटपाथ अवैध अतिक्रमण का शिकार हो गया। जिससे आए दिन जाम की समस्या बनी रहती हैं। लेकिन जाम के झाम से निजात दिलाने के लिए प्रशासन ने द्वारा वहीं खानापूर्ति करते हुए नगर में अतिक्रमण हटाओ अभियान भी चलाया जाता है।
आज जनपद में जहाँ छोटे बड़े वाहनों की पंजीयन संख्या में लगातार बढोत्तरी हो रही है। जिसका नतीजा नगर में बेहताशा जाम देखने को मिलता है। लेकिन इस जाम के झाम से निपटने के लिए नगर पालिका एवं यातायात पुलिस इससे निपने के लिए कोई कार्यगर योजना नहीं बना पायी जिससे लोगो को जाम की समस्या का सामना न करना पड़े। शहर में जो ट्रैफिक पॉइंट हैं। उन जगहों पर ट्रैफिक पुलिस की तैनाती न होने से लोग भी मनमाने तरीके से अपना वाहन आड़े तिरछे खड़ा करते हैं। जिले में 1 लाख 81 हज़ार 7 सौ 45 मोटरसाइकिल व 13 हज़ार के करीब कारें हैं। जिले का मुख्यालय होने की वजह से यहां पर भीड़ होना लाजमी है। लेकिन इन सबसे रूबरू होने के बाद भी कोई भी जिम्मेदार अधिकारी या नेता वाहनों के लिए पार्किंग स्थल बनाने में रुचि नहीं दिखाता।
देखते रह गए अधिकारी फुटपाथों पर हो गया अतिक्रमण--
लोगों को सहूलियत देने के लिए शहर में चारों तरफ फुटपाथों का निर्माण कराया गया। लेकिन चारों ओर नज़र फेरने पर फुटपाथी दुकानदारों का कब्जा नज़र आएगा। पालिका के द्वारा अतिक्रमण के खिलाफ अभियान का श्री गणेश तो किया जाता है। लेकिन उसे अंतरिम रूप देने में हमेशा विफल रहता है। नतीज़न सड़कों से लेकर फुटपाथी दुकानदारो की भरमार हो चुकी है। जिससे खरीदारी करने को आने वाले लोग सड़कों पर अपना वाहन खड़ा करने को मजबूर हैं। शहर के पार्किंग ठेके भी फुटपाथो पर ही चल रहे हैं।
क्या है सुप्रीम कोर्ट के आदेश--
- सभी नगर निगम व पालिका यह तय करे कि सभी फुटपाथों से अतिक्रमण हटाया जाए। फुटपाथ पैदल चलने वालों के लिए बने है इस पर किसी प्रकार का अतिक्रमण नहीं होना चाहिए।
- जिन दुकानदारों ने फुटपाथों पर कब्जा कर रखा है। 15 दिन का नोटिस देकर अतिक्रमण हटाने को कहा जाए। अगर दुकानदार ऐसा नहीं करता है तो पालिका खुद जाकर कब्जा हटाए व इसका खर्च अतिक्रमण करने वाले से वसूला जाएं।
फुटपाथी दुकानदारों को चिन्हित करने की योजना भी अधर में लटकी --
डूडा विभाग व नगर पालिका के द्वारा संयुक्त रूप से ऐसे दुकानदार का एक सुनिश्चित स्थान देने की योजना में था। जो फुटपाथों पर या ठेला लगाकर अपना समान बेच रहे हैं। इस योजना के अंतर्गत फुटपाथी दुकानदारों को चिन्हित कर उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था देनी थी। लेकिन इस फुटपाथी अतिक्रमण से छुटकारा दिलाने में नगर पालिका के पसीने छूट रहे हैं।
ओडीए का मास्टर प्लान लागू होने के बाद बदलेगी सूरत --
2017 में सरकार ने चुनिंदा शहरों में मास्टर प्लान के लागू करने की बात कही गई थी। इसके लिए आपत्तियां भी मांगी गई थी ताकि मास्टर प्लान की योजना को क्रियान्वित जा सके। इसके अंतर्गत शहर का सौंदर्यीकरण व जाम की समस्या से निपटने का बिंदु भी शामिल था। लेकिन वर्तमान में पार्किंग की कोई व्यवस्था लागू होती नहीं दिख रही जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
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