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खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण कर मनाया गया मकर संक्रांति का पर्व,देखिए इस पर्व के मनाने के पीछे क्या है कारण

 


रिपोर्ट: मनोज सिंह

कानपुर देहात। हमारे देश तमाम तरह के  हिन्दू मुस्लिम पर्व मनाए जाते हैं। ये सभी अपने रीति-रिवाजों के चलते विशेष माने जाते हैं। उन्हीं में से एक पर्व मकर संक्रांति भी है। कुछ त्‍योहार ऐसे होते हैं, जिनमें भगवान को विशेष तरह का भोग लगाया जाता है। उसके बाद उसे प्रसाद स्‍वरूप ग्रहण किया जाता है। इसके पीछे धार्मिक के साथ ही वैज्ञानिक तथ्‍य भी होते हैं। ऐसा ही पर्व है मकर संक्रांति का, जिसे पूरे देश में मस्‍ती के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग खिचड़ी खाते हैं और दिन भर पतंगबाजी का लुत्‍फ उठाते हैं। जिसको लेकर कानपुर देहात के सिकंदरा तहसील में पढ़ने वाले ग्राम भंन्देमऊ में कुछ श्रद्धालुओं ने खिचड़ी का प्रसाद बनाकर भंडारा किया। और पर्व को शांति व श्रद्धा के साथ मनाया  

क्या आप जानते हैं कि इस खास दिन पर इस परंपरा विशेष का यानी कि खिचड़ी खाने के पीछे क्‍या कारण है और यह किस बात का प्रतीक है?


सनातन धर्म में ख‍िचड़ी में प्रयोग की जाने वाली सामग्रियों को ग्रहों का प्रतीक माना गया है। मान्‍यता है कि इस खाने से व्‍यक्ति को तमाम तरह की परेशानियों से राहत मिलती है।


ज्‍योतिषशास्‍त्र के मुताबिक खिचड़ी का मुख्‍य तत्‍व चावल और जल चंद्रमा के प्रभाव में होता है। इस दिन खिचड़ी में डाली जाने वाली उड़द की दाल का संबंध शनि देव से माना गया है। वहीं हल्‍दी का संबंध गुरु ग्रह से और हरी सब्जियों का संबंध बुध से माना जाता है। वहीं खिचड़ी में पड़ने वाले घी का संबंध सूर्य देव से होता है। इसके अलावा घी से शुक्र और मंगल भी प्रभावित होते हैं। यही वजह है कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने से आरोग्‍य में वृद्धि होती है।

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