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सीतापुर हिस्ट्रीशीटर मुजीब अहमद को लगातार मिल रहा था सत्ता संरक्षण

 


व्यूरो रिपोर्ट - नैमिष शुक्ल 

उत्तर प्रदेश सीतापुर जनपद की पुलिस को जिस मुजीब अहमद और उसके दो भाई एखलाख उर्फ हसीन और अहमद हुसैन उर्फ छन्नू को हिस्ट्रीशीटर पेशेवर अपराधी करार देकर उनकी चल अचल संपित्त जब्त करने में जुट गई है, वह तो अभी तक पुलिस की पकड़ से दूर होना बताया जाता है । वही सीतापुर जिले की पुलिस के मुताबिक मुजीब और उसके दोनों भाई माफिया अतीक अहमद के करीबी माने जाते थे वह सीतापुर पुलिस के मुताबिक अपराध कृत्यों द्वारा लगभग 75 करोडों की संपत्ति अर्जित कर ली थी लेकिन यह भी कहा जाता है कि यह तीनों भाई अब तक सत्ताधारियों के संरक्षण में होकर धंधे को पूर्ण रूप से चमकाने में जुटे थे जिसमे ग्राम सभाओं में 03 जमीन कुल 9.035 हेक्टेयर,नगर पालिका की 04 दुकानों, 22 भवनों,08ईंट भट्ठों एवम 04 लग्जरी वाहनों इत्यादि का कारोबार धडल्ले से चल रहा था। खुद मुजीब और एखलाख अहमद खुले आम घूम रहे थे वही कारण यह था कि इन सभी को सत्ता का ही संरक्षण प्राप्त था। बताया जाता है कि आज से नहीं बल्कि लगभग ढाई दशक पूर्व से सीतापुर के राजनीतिक गलियारों में मुजीब की जडें बहुत गहरीं थी ।

सरकार चाहे जिसकी हो रंगबाजी बरकरार रहती थी मुजीब अहमद के साथ यह अवसर भी रहा कि प्रदेश में वर्तमान सरकार से पहले सपा और बसपा की सरकार लंबे समय तक रही। इन दोनों की सरकार में मुजीब की तूती बोलती रही। वह तब जबकि उस पर गुंडा एक्ट जैसे मामले भी दर्ज हुआ करते थे। सीतापुर पुलिस चाह कर भी सख्त कार्रवाई करने से कतराती रहती थी। सरकारी गैर सरकारी कार्यक्रमों में उनकी लगातार भागीदारी बतायी जाती थी पुलिस इस हिस्ट्रीशीटर के सामने अब तक बौनी नजर आती थी । वही शहर कोतवाली तक में उसकी लगातार मौजूदगी बनी रहती थी। वही कोतवाली के कई पुलिस कर्मी उसके बगलगीर हुआ करते थे। 

वही यह हनक भाजपा की योगी सरकार में भी बनी हुई थी यह सब चल रहा था। योगी सरकार के लगभग चार वर्ष बीतने को थे लेकिन पुलिस को अब तक मुजीब अहमद की याद क्यो नहीं आई । इसके पीछे की वजह सत्ता रूढ दल के स्थानीय नेता ही कहे जा सकते हैं। क्योकि संगठन का एक वरिष्ठ पदाधिकारी तो अत्यंत करीबी है । क्योंकि दोनों ने सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा कर रखा है। वही जब भाजपा सरकार बनी तब उसमें सपा और बसपा के भी नेता भाजपा में सामिल हो गए थे वही मुजीब अहमद पर अब तक लटकी तलवार हवा में ही क्यों घूम रही थी इसके पीछे दल बदलू नेताओं की कृपा कही जा सकती है। जो नेता पहले सपा और बसपा में थे, उनमें से कई भाजपा में भी आ गए और चुनाव भी जीत गए थे । जब वे सपा बसपा में थे तब भी हिस्ट्रीशीटर मुजीब अहमद उनका बेहद करीबी बताया जाता था, लिहाजा व्यक्तिगत संबंध अभी तक बरकरार रहे । लेकिन जब माफिया अतीक अहमद की बात सामने आई तो मामला स्थानीय नेताओं के हाथ से निकलता चला गया।

जब उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के सख्त निर्देशों के तहत सीतापुर एसपी आरपी सिंह ने मुजीब अहमद की कुल 75 करोड की संपत्ति जब्त करने को हरी झंडी दिखा दी गयी । वही यह आरोप लगाया कि यह संपत्ति अपराध कर एकत्र की गई है। संपत्ति वैध है अथवा अवैध इसका विवरण दाखिल करने के लिए फिलहाल आरोपियों को जिला प्रशासन ने समय भी दिया गया है कि वह अपनी संपत्ति सम्बन्धित दस्तावेज पेश कर सकते है वही अगर उन लोगो का जवाब संतोषजनक न हुआ तो बुल्डोजर चलना भी तय माना जा रहा है।

वही अगर सूत्रों की माने तो मुजीब अहमद था तो हिस्ट्रीशीटर पर उसकी सामाजिक कार्यों में भी सहभागिता रहती थी तथा पूर्व में मुजीब अहमद की पत्नी महोली की ब्लाक प्रमुख भी रह चुकी थी। वह स्वयँ भी सभासद रह चुके थे। वही अभी तक धार्मिक संगठन में प्रमुख पदाधिकारी की भूमिका भी निभाते रहे हैं। इन दायित्यों को निभाने के दौरान मुजीब को कई बार समाज सेवी के तौर पर भी देखा जाता रहा है। खास बात ये कि मुजीब और उनके भाइयों के संबंध पत्रकारों से भी बडे मधुर रहे। चूंकि तीनों भाइयों ने जैसे तैसे करके अकूत संपत्ति एकत्र कर ली थी, इस कारण उस पर नजर टिकना लाजिमी था। चर्चा कई दिन से चल रही थी कि एक न एक दिन मुजीब का आलीशान बंगला ढहा दिया जाएगा, यह मुमकिन तब और होने लगा जब मुजीब और अतीक अहमद की तस्वीर वायरल हो गई। हालांकि इस बंगले में गृह प्रवेश के समय दर्जनों नेताओं की मौजूदगी थी, इनमें कई विधायक और पत्रकार व व्यापारी भी थे।

वही मुजीब और उनके रिश्तेदारों की संपत्ति तो जब्त कर ली गई है वही पुलिस की पकड़ से अभी तक दूर है देखना यह है कि जिले में कई हिस्ट्रीशीटर और भी हैं उनके खिलाफ पुलिस किस प्रकार की कार्रवाई करती है। इनमें कई तो माननीय मंत्री के साथ भी नजर आ जाते हैं ।

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