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खुदा का शेर गरीबों बेसहारों के मसीहा।


कानपुर नगर।  कानपुर 26 फरवरी मोहम्मदी यूथ ग्रुप के ज़ेरे एहतिमाम रसूल ए खुदा के दामाद, इस्लाम के चौथे खलीफा, शेर ए खुदा हज़रत मौला अली (रजि०अ०) का जशन ए विलादत मौला अली परम्परागत ढंग से धूम-धाम, शान ओ शौकत, अकीदत के साथ खानकाहे हुसैनी हज़रत ख्वाजा सैय्यद दाता हसन सालार शाह (रह०अलै०) की दरगाह कर्नलगंज ऊँची सड़क मे मनाया गया।


फज़िर की नमाज़ के बाद कुरानख्वानी का एहतिमाम किया गया बाद सुबह 11बजे जशन ए विलादत मौला अली की शुरुआत तिलावते कुरान ए पाक से हाफिज़ अब्दुल वहीद बरकाती ने की शोरा कराम ने नात मनकबत पेश की जिसमें "अली के नाम का सिक्का जहाँ मे चलता है यह वह चिराग है जो आँधियों मे जलता है" जशन ए विलादत मौला अली को खिताब करते हुए उलेमा ए कराम ने कहा कि पैगम्बर ए इस्लाम हुज़ूर सरकार हज़रत सैय्यद मोहम्मद मुस्तफा (स०अ०व०) हज़रत अली को अपना दोस्त बताते हुए कहते है कि मै इल्म का शहर हूँ, अली उसका दरवाज़ा। अल्लाह ने शेरे खुदा हज़रत अली को इतनी दिमागी कुवत अता की थी के वो किसी भी मसले का हल कुछ ही पल मे कर देते थे ज़ालिम उनके नाम से ही खौफ खाते थे गरीबों मज़लूमों का मसीहा ऐसा न तो हुआ न ही होगा।

उलेमाओं ने हज़रत अली की जिन्दगी और उनके बताए हुए रास्तों पर चलने व नमाज़ की पाबंदी पर ज़ोर दिया उलेमाओं ने हज़रत अली जिंदाबाद, जशन ए विलादत मौला अली जिंदाबाद के नारे बुलंद किये यौम ए विलादत हज़रत अली खुशियों और जशन मनाने का दिन है। खिताब के बाद दरुदों सलाम का नज़राना पेश कर नज़र मौला अली करम अल्लाह वजहू होने के बाद दुआ हुई।

दुआ मे उलेमा ए कराम व खानकाहो के सज्जादानशीनो ने अल्लाह की बारगाह मे मदीने वाले आक़ा, हज़रत अली के सदके मे हम सबको हज़रत अली के बताए हुए रास्तों पर चलने, नमाज़ की पाबंदी करने, हम सबके गुनाहों को माफ करने, हमारे मुल्क सूबे व शहर मे अमनो अमान कायम कर तरक्की देने, कोरोना वायरस से मुल्क की हिफाज़त करने, सीरिया पर रहम करने, बेगुनाह जो जेलों मे बंद है उनकी रिहाई होने, मासूम बच्चों बहू-बेटियों के साथ वहशी हरकत करने वालों को तबाह-बर्बाद करने ज़ालिमों के जुल्म से निजात देने की दुआ की। दुआ के बाद खानकाहे हुसैनी के बाहर राहगीरों, बच्चों को मिष्ठान वितरण किया गया।

जशन मे इखलाक अहमद डेविड चिश्ती, शहनवाज़ कादरी हाफिज़ मोहम्मद ज़ाहिद, अयाज़ अहमद चिश्ती, हाज़ी मोहम्मद अज़हर, परवेज़ आलम वारसी, मुबश्शीर निज़ामी, अफज़ाल अहमद, शफाअत हुसैन डब्बू, एजाज़ हुसैन, शमशुद्दीन खान, जमालुद्दीन फारुकी, मोहम्मद शाबान, मज़हर आलम, मोहम्मद हफीज़, हबीब आलम, मोहम्मद जावेद, अशरफ बाबू, मोहम्मद वसीम भूरे, गुफरान मजीद, मुजम्मिल हुसैन, जेनू कादरी, मोहम्मद इदरीस, सैफ अली,अलतमश खान, युनुस खान आदि थे।

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