रिपोर्ट: शत्रुघ्न सिंह
उरई जालौन कोर्ट के दौर से गुजरे देश का बजट वित्त मंत्री निर्मला सीता रमाडा द्वारा 1 फरवरी को पेश कर दिया गया दलित आदिवासियों के लिए यह मायने रखता है कि उसको लेकर बजट समीक्षा हुआ अनुसूचित जाति जनजाति उपयोजना एससीपी टीएसपी आवंटन एवं अवलोकन व बजट विश्लेषण व मांग को लेकर बुंदेलखंड दलित अधिकार मंच व दलित आर्थिक आंदोलन एनसीडीएचआर द्वारा गणेश धाम उत्सव उरई जालौन में मीडिया संवाद किया गया।
देश के बजट 2021 और 22 के विश्लेषण को एसीपी टीएसपी के विशेष संदर्भ में रखते हुए बुंदेलखंड दलित अधिकार मंच संस्थापक एवं रिसर्च कुलदीप कुमार बौद्ध ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का कुल अनुमानित बजट 3483 237 करोड़ों रुपए का जो बजट पेश किया है उस में अनुसूचित जाति के लिए 126 259 करोड़ों रुपए आवंटित किए गए हैं और अनुसूचित जनजाति के लिए 79 942 करोड़ों रुपए आवंटित किए गए इसमें अनुसूचित जाति के लिए 330 व जनजाति के लिए 326 स्कीम के तहत पैसा आवंटित किया गया है बजट को देखते हुए सरकार समावेशी विकास के लिए उत्सुकता से बात कर रही थी लेकिन वित्तीय वर्ष 2021 22 मैं वह दिखाई नहीं देता है अनुसूचित जाति के लिए लक्षित स्कीम के लिए आवंटन बजट 38% 48 397 करोड़ रुपए और अनुसूचित जनजाति के लिए लक्षित स्कीमों में आवंटन 35% 27 830 करोड़ों रुपए यह सामान योजनाओं के हैं एससी एसटी बजट स्कीम का जामा पहन दिया गया है जबकि इसकी में एससी एसटी समुदाय के सीधे-सीधे हित में नहीं है गलत आर्थिक अधिकार आंदोल दुआ बुंदेलखंड दलित अधिकार मंच की टीम ने यह प्राथमिक स्तर पर बजट का विश्लेषण किया है ।
अभी विस्तृत विश्लेषण कल रणनीति बनाई जाएगी वहीं अगर हम स्कीम बार बजट को देखते हैं तो दलित युव एक कोई खास पढ़ाई और रोजगार को लेकर बजट का आवंटन नहीं जबकि ऐसी पीटीएसपी गाइडलाइन के अनुसार सीधे दलितों आदिवासियों को डायरेक्ट लाभान्वित करने बाली टीम में बजट आवंटन किया जाना चाहिए जो कि नहीं हुआ है 2021 22 पर टिप्पणी करते हुए मंच के साथी रेहाना मंसूरी कहां है कि सरकार ने जो बजट पेश किया है उसमें जेंडर बजट को देखे बहुत ही कम दिया गया है अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए 15116 करोड़ों रुपए आवंटित किए गए हैं वहीं अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए 7205 करोड़ों रुपए ही दिए गए हैं जोकि बहुत कम है रीता विश्वकर्मा मणि प्रजापत व संजय बाल्मीकि ने कहा है कि सरकार महिलाओं के लिए बड़े-बड़े बातें करती है लेकिन बजट में दलित महिलाओं के लिए कुछ भी नहीं है आज भी हमारी दलित बाल्मीकि महिलाएं मेला डोकर अपने बच्चों का पेट भर गुजारा करती हैं वही मैला ढोने वाली महिलाओं के लिए बहुत कम बजट दिया गया है वहीं पिछले वित्तीय वर्ष में 110 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे जिन्हें खर्च नहीं किया गया है इस वर्ष भी सिर्फ 100 करोड़ों रुपए की धनराशि दी गई है लीडर स्टूडेंट सचिन कुमार नंद कुमार पचम अर्चना मंसूरी ने कहा कि दलित स्टूडेंट को समय से स्कॉलरशिप नहीं मिलती है वही बुंदेलखंड से कई हजार दलित युवा बेरोजगार की तलाश में पलायन करके दूसरे प्रदेशों में जाते हैं आखिर कब सुधरेगी दलितों की हालत जिस प्रकार से बजट की कटौती की जा रही है वह सामाजिक से ज्यादा आर्थिक अत्याचार दलितों के के साथ दिया जा रहा है जिस पर सब की चुप्पी बनी हुई है कोविड-19 सबसे ज्यादा स्टूडेंट की पढ़ाई को प्रभावित किया है समय से स्कॉलरशिप ना मिलना भी उनकी पढ़ाई को प्रभावित करती है अब हम सबको मिलकर इस आर्थिक अत्याचार के खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन करना होगा।।
प्रमुख मांगे --
1- देश में अनुसूचित जाति घटाकर अनुसूचित जनजाति घटा को कानून बनाया जाए।।
2- इस वर्ष 2021 22 के बजट की धनराशि को जो दूसरे मदों में दर्ज की गई है उसे वापस किया जाए।।
3- दलितों के सीधे विकास के लिए योजनाएं बनाए जाएं जिससे दलितों का सीधा विकास हो व एसीपी टीएसपी गाइडलाइन का पूर्णतया अनुपालन किया जाए।।
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