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कोतवाली कोंच कांड की सत्रहवीं बरसी पर समाजवादी पार्टी ने तीनों नेताओ को किया याद


रिपोर्ट: शत्रुघ्न सिंह

- आज ही के दिन कोतवाल डीडी राठौर ने उतारा था तीन को मौत के घाट

उरई/जालौन। हमारा देश भले ही सात दशक पूर्व बरतानवी हुकूमत की दासता से आजाद हो गया हो लेकिन आज भी पुलिस की कार्यशैली में बरतानवी हुकूमत की बर्बरता साफ दिखाई देती है। कोंच का बहुचर्चित कोतवाली कांड इसका जीता जागता उदाहरण है। पहली फरवरी वर्ष 2004 कोंच के इतिहास के पन्नों में काले दिन के रूप में दर्ज है। इसी दिन तत्कालीन कोतवाल डीडीएस राठौर ने क्षेत्र की तीन हस्तियों को निर्दोष होते हुए भी केवल इसलिये मौत के घाट उतार दिया था कि उन्होंने कोतवाल की निरंकुशता और मनमानी पर सवाल खड़े करने और निर्दोषों को रात भर लॉकअप में बंद रखने का विरोध किया था। हालांकि कोतवाली कांड के खलनायक डीडीएस राठौर की जेल में निरुद्घ रहते मौत हो चुकी है और अन्य अभियुक्तों को सेशन कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद पीडित परिवारों को सुकून मिला है कि हत्यारों को कानून ने उनकी परिणति तक पहुंचा दिया है।

हालांकि कहावत है कि गुजरता वक्त बड़े बड़े जख्मों को भर देता है लेकिन सत्रह साल का लंबा अंतराल गुजर जाने के बाद भी यहां के लोगों के जेहन में पहली फरवरी 2004 की वह घटना आज भी ताजा है जब कोतवाली में रोडवेज कर्मचारी यूनियन के मंडलीय पदाधिकारी महेन्द्र सिंह निरंजन, तत्कालीन सपा प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य सुरेन्द्र सिंह निरंजन और उनके अभिन्न मित्र दयाशंकर झा को तत्कालीन पुलिस कोतवाल देव दत्त सिंह राठौर ने बड़ी बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया था। उक्त घटना को अनहोनी समझ कर भुलाने के लिये सत्रह साल का लंबा समय भले ही काफी माना जाता हो लेकिन उन घावों के निशानों का क्या जो जब भी सामने आते हैं, उस काले दिन की बुरी यादें बरबस ही लोगों के  जेहन में उतर कर रीढ में सिहरन पैदा कर देती हैं। दरअसल, 31 जनवरी 2004 की रात तत्कालीन कोतवाल डीडीएस राठौर ने वरिष्ठ सपा नेता और एमपीडीसी प्रबंध समिति के तत्कालीन मंत्री सुरेन्द्रसिंह निरंजन के दामाद शिवकुमार निरंजन को अकारण ही रात भर कोतवाली के लॉकअप में बंद रखा था और पहली फरवरी को जब कोतवाल से इसका हिसाब मांगा गया तो उन्हें इसमें अपनी तौहीन लगी। कोतवाल ने सुरेन्द्र सिंह निरंजन, उनके बड़े भाई रोडवेज कर्मचारी यूनियन के मंडलीय पदाधिकारी महेन्द्रसिंह निरंजन तथा उनके अभिन्न मित्र दयाशंकर झा पर कोतवाली में गोलियों की बौछार कर तीनों को मौत की नींद सुला दिया था। इस घटना के बाद तो जैसे जिले भर में आग सी लग गई और जगह जगह धरना प्रदर्शन आगजनी आदि की घटनाओं से पूरा जिला कई दिनों तक सहमा रहा था। कोतवाली में घटी उस काली वारदात के बाद भले ही जाने बाले बापिस न आ सकें लेकिन उनके कृत कार्यों को याद कर इलाकाई लोग आने वाली पीढियों को पुलिस की ज्यादती के खिलाफ आवाज बुलंद करने की नसीहत जरूर देते हैं। 1 फरवरी सोमवार को कोतवाली कांड की सत्रहवीं बरसी पर तीनों शहीदों को सपा जिला कार्यालय में स्थापित तीनों शहीदों को सपा नगर अध्यक्ष वेद प्रकाश यादव, आमिर फरीदी, संजीत यादव, सपा नगर उपाध्यक्ष अनुरद्ध द्विवेदी, नगर सचिव विनोद श्रीवास, नगर सचिव विजय दोहरे, सपा नगर महासचिव शबीउददीन, सपा जिला उपाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह यादव, विजय निस्वा, रामानन्द कुशवाहा विधानसभा सचिव, प्रकाश यादव, कोंच नगर अध्यक्ष छोटू टाईगर, डॉ शिवम यादव नगर महासचिव कोंच, शबी उद्दीन नगर महासचिव उरई, सभासद नसीम निहारिया कोषाध्यक्ष कोंच, कपिल राय नगर सचिव कोंच, आफ़ताब मकरानी सहित आदि सपाजनों ने श्रद्धाजंलि अर्पित की।

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