किसी भी राष्ट्र के सशक्तिकरण की पहचान वहां की महिलाओं की शिक्षा के आंकड़े से लगाई जा सकती है। भारत की प्राचीन परंपरा में महिलाओं को पुरुष के बराबर का स्थान था। भारत में महिलाओं को देवी के स्वरूप मानकर उनको शक्ति स्वरूपा तथा पूजनीय माना जाता था। समाज में उनको एक विशेष आदर और दर्जा प्राप्त था।
परंतु भारत की वर्तमान स्थिति में महिलाओं की साक्षरता दर पुरुषों से कम जबकि आज की वर्तमान युग में जहाज चलाने से लेकर सेना तक तथा प्रत्येक कार्य क्षेत्र में महिलाओं ने अपने कौशल का प्रदर्शन किया है।
यदि महिला शिक्षित होगी तो वह अपने परिवार को भी शिक्षित करेगी। महिलाओं के शिक्षित होने से दहेज जैसी कुप्रथा, कन्या भ्रूण हत्या एवं कार्य क्षेत्रों में महिला उत्पीड़न की घटनाओं में कमी आएगी।
महिला शिक्षा जागरूकता अभियान में रोटरी क्लब कानपुर का भी सहयोग प्राप्त हुआ।कार्यक्रम का शुभारंभ कॉलेज के मैनेजर मोहम्मद सैम ने किया। जिसमे महिला एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए वक्ताओं ने विचार व्यक्त किया।कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रोजेक्ट डायरेक्टर Rtr. शाकिर खान, Rtr.चंद्र भूषण यादव, Rtr.मकसूद खान, सैयद सोहेल. गुलज़ार आशुतोष त्रिपाठी आदि अपस्थित रहे।
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