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प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी दो साल से नहीं पहुंचे केंद्र

 

रिपोर्ट: मनोज सिंह/ कानपुर देहात


प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र  के प्रभारी दो साल से नहीं पहुंचे केंद्र, विभागीय मिलीभगत से लगवाते रहे हैं हाजरी, निकालते रहे वेतन।



कानपुर नगर। सरकार जनता तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने का दम भर रही है और स्वास्थ्य महकमा सरकार के दावों में पलीता लगा रहा है, ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश के जनपद कानपुर देहात में देखने को मिल रहा है, जहां एक डॉक्टर पिछले 2 वर्षों से अपनी ड्यूटी से नदारद हैं तो वही निचले स्तर की विभागीय मिलीभगत से लगातार अपनी हाजिरी भी लगवा दे रहे इतना ही नहीं बल्कि सरकारी वेतन को भी लगातार दो वर्षो तक निकालते रहे।


  कानपुर देहात का स्वास्थ्य महकमा इन दिनों रोज चर्चा में बना हुआ है ताजा मामला कानपुर देहात के रसूलाबाद विधानसभा क्षेत्र मैं बनी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का है जहां पर पी एचसी के प्रभारी डॉक्टर शैलेंद्र वर्मा पिछले 2 वर्षों से या यूं कहें कि कोविड-19 में अपने ड्यूटी से नदारद रहे मरीज लगातार परेशान होते रहे और स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तिष्ती में मरीज दर बदर भटकने को मजबूर थे डॉक्टर शैलेंद्र पीएचसी में तैनात विभागीय कर्मचारियों की सांठगांठ से रोजाना अपनी हाजिरी तो लगवा ही लेते थे साथ ही हर महीने सरकार की ओर से मिलने वाले वेतन को भी निकाल लेते हैं और यह सिलसिला लगभग 2 वर्षों से चला आ रहा है 2 महीने पहले रसूलाबाद के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक की तैनाती पर इस बात का खुलासा हुआ कि डॉक्टर शैलेंद्र वर्मा पिछले 2 वर्षों से अपने केंद्र में बताओ डॉक्टर कार्यरत नहीं रहे।

 जिससे मरीजों को भी दिक्कतें हुई, डॉक्टर शैलेंद्र वर्मा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी के पद पर रसूलाबाद क्षेत्र में तैनात हैं और मूल रूप से लखनऊ में निवास करते हैं लखनऊ और कानपुर देहात के रसूलाबाद क्षेत्र की दूरी की बात की जाए तो यह दूरी तकरीबन डेढ़ सौ किलोमीटर के आसपास मानी जाती है डॉक्टर शैलेंद्र का कोविड-19 में भी अपने अस्पताल परिसर में उपस्थित ना होने का मामला खुल गया है आबादी और क्षेत्रफल के मामले में कानपुर देहात की रसूलाबाद विधानसभा सबसे बड़ी मानी जाती है और यहां मरीजों की संख्या भी बहुत थी कोविड-काल में रसूलाबाद में सबसे ज्यादा संक्रमित लोग निकले थे बावजूद इसके डॉक्टर साहब अपनी ड्यूटी से नदारद रहे और घर बैठे हाजिरी लगवाने के साथ-साथ लाखों रुपए का सरकारी वेतन भी निकालते रहे। रसूलाबाद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉ आशीष मिश्रा ने ड्यूटी से नदारद रहे डॉक्टर शैलेंद्र वर्मा के पूरी जांच पड़ताल की और जब उन्हें इस बात की पुष्टि हो गई कि वाकई में डॉक्टर साहब पिछले 2 वर्षों से अपनी ड्यूटी पर नहीं आए हैं तो उन्होंने कानपुर देहात के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर ए के सिंह से पत्र में लिखकर सीएससी प्रभारी डॉ शैलेंद्र वर्मा की शिकायत कर दी जिससे स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया एक-दो दिन नहीं बल्कि पूरे 2 साल तक एक डॉक्टर अपने केंद्र पर नहीं आया और 2 वर्षों तक अनुमानित 5000000 रुपए की सरकारी वेतन का उपभोग करता रहा इस प्रकरण का खुलासा होने के बाद स्वास्थ्य महकमा डॉक्टर शैलेंद्र वर्मा के लिए हरकत में आ गया है और इस पूरे मामले की गहनता से जांच पड़ताल की जा रही है। डॉक्टर शैलेंद्र वर्मा की शिकायत करने वाले रसूलाबाद सामुदायिक केंद्र के अधीक्षक डॉ आशीष मिश्रा की मां ने तो उनके कार्यभार संभालते ही उन्हें इस बात की सूचना है मरीजों से मिलने लगी थी क्योंकि आए दिन मरीज डॉक्टर आशीष मिश्रा से इस बात की शिकायत करते थे कि साहब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर साहब तो आते ही नहीं हैं और ऐसे में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के तमाम मरीज का भार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रसूलाबाद पर पड़ने लगा जिसके बाद डॉ आशीष मिश्रा ने इसकी पूरी जांच पड़ताल कर विभागीय कार्रवाई करने की ठान ली और उन्होंने जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को ड्यूटी से नदारद रहे डॉक्टर की पूरी कहानी पत्र में लिख भेजी।



बाइट -शिकायतकर्ता डॉ आशीष मिश्रा अधीक्षक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रसूलाबाद कानपुर देहात


स्वास्थ्य महकमे में चल रही डॉक्टर की मनमानी और धांधली से जब पर्दा उठा तो स्वास्थ्य महकमे के आला अधिकारियों की आंखें खुल गई पिछले 2 वर्षों से अपनी ड्यूटी से नदारद रहे डॉक्टर शैलेंद्र वर्मा की जानकारी रसूलाबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉ आशीष मिश्रा ने की तो उन्होंने इस पूरे प्रकरण मैं ड्यूटी पर मैं आने वाले डॉक्टर शैलेंद्र वर्मा के इस रवैया के खिलाफ महकमे के आला अधिकारियों को पत्र लिखकर सूचित किया यह पत्र कानपुर देहात के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर ए के सिंह को दिया गया जिसके बाद महकमे के अधिकारी डॉक्टर की मनमानी और सरकारी पैसों के दुरुपयोग का प्रकरण जानकर तत्काल प्रभाव से इसकी जांच कमेटी बना दी तो वही डॉक्टर ए के सिंह ने इस पूरे मामले में टीम गठित कर आरोपी डॉक्टर के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए और वक्ती तौर पर रसूलाबाद क्षेत्र से स्थानांतरण करके रूरा क्षेत्र में भेज दिया गया हालांकि मुख्य चिकित्सा अधिकारी की मानें तो उन्होंने डॉक्टर का पिछली जुलाई से वेतन भी रोक रखा है और पिछले अनुमानित 2 वर्षों से बिना नौकरी पर आए उठाए जा रहे वेतन के खिलाफ भी कार्यवाही कर पिछले वेतनो को भी डॉक्टर से भुगतान करने की बात कही है जिसे शासन स्तर से जांच के बाद पुनः सरकार के पास भेज दिया जाएगा यह राशि लम सम ₹5000000 के अनुमानित बनती है, साथ ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एके सिंह ने डॉक्टर की इस मनमानी में निचले स्तर के विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत होने की भी बात को स्वीकारा है और उन्होंने जांच के बाद अगर उनकी संलिप्तता इस पूरे प्रकरण में पाई जाती है तो उन पर भी कठोर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं,



बाइट -डॉक्टर ए के सिंह मुख्य चिकित्सा अधिकारी कानपुर देहात

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