*कानपुर ब्रेकिंग न्यूज़*
रिपोर्ट: भानु प्रताप सिंह
*माता रानी के नवरात्रि के पावन पर्व पर काली मठिया शास्त्री नगर में उमड़ी भक्तों की भीड़
आपको बताते चलें श्री मां काली मठिया प्राचीन समय में टीले पर बरगद पीपल और नीम के वृक्ष के नीचे बीच में मूर्ति स्वरूप प्रकट हुई थी, उसके बाद इस स्थान को मातअइया जो कि अब काली मैया के नाम से जाना जाता था,
बाद में लगभग 160 वर्ष पूर्व इस क्षेत्र का नाम मतैया का पुरवा पड़ा 18 फरवरी दिन गुरुवार वर्ष 1971 में मां के दरबार पर परम पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य शांतानंद जी सरस्वती के द्वारा मंदिर के भव्य स्वरूप का लोकार्पण हुआ, यह काली मां का प्रसिद्ध शक्तिपीठ है, माताजी के स्मरण मात्र से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं इसलिए बहुत दूर-दूर से लोग दर्शन मात्र को आते हैं , और सभी की मनोकामना भी पूर्ण होती श्री मां काली मठिया मंदिर में माताजी का प्रतिदिन दोनों समय सिंगार किया जाता है, तथा नवरात्रि एवं अन्य विशेष दिनों में जैसे 18 फरवरी को माताजी का स्थापना दिवस महाशिवरात्रि पर महा रुद्राभिषेक एवं माता जी का सिंगार दीपावली रात्रि रात्रि पूजन एवं प्रसाद का खजाना वितरण चैत्र नवरात्रि पश्चात माता जी का विशाल भंडारा तथा श्री कृष्ण जन्माष्टमी के विशाल श्री कृष्ण झांकी का आयोजन किया जाता है।
मां की कृपा और आशीर्वाद एवं प्रेरणा से श्री काली देवी मंदिर का स्वरूप नित्य प्रतिदिन विश्व विख्यात एवं निखरता जा रहा है।
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