उत्तर प्रदेश शासन द्वारा लगाई गयी होर्डिंग विवादों के घेरे में-पिछली सरकार सरकारी पैसो को नाच-गाने पर करती थी खर्च
कानपुर नगर। कानपुर की सरकारी इमारतों पर उत्तर प्रदेश शासन द्वारा लगाए जा रही प्रचार सामग्री विवादों के घेरे में है। इनमे समाजवादी पार्टी की पिछली सरकार पर तंज कसते हुए वर्तमान भाजपा सरकार की प्रशंसा की गई है। आम तौर शासन द्वारा मौजूदा सरकार के कामकाज का प्रचार करने की परम्परा रही है लेकिन पिछली सरकार की आलोचना सत्तारूढ़ दल तो करता है लेकिन सरकारी एजेंसियां और शासन कभी नहीं।
राजनैतिक चेतना का गढ़ कहे जाने वाले कानपुर नगर के जिला अस्पताल परिसर में प्रवेश करते ही कई बड़ी बड़ी होर्डिंग्स पर लोगो की निगाह पड़ जाती है। इन होर्डिंग्स में उत्तर प्रदेश शासन का राजकीय चिन्ह बना हुआ है और स्लोगन दिया गया है " सोच ईमानदार, काम दमदार".
इन होर्डिंग्स में 2017 के पूर्ववर्ती और बाद में बनी दो सरकारों की चित्रों व कटाक्ष भरे वाक्यों के जरिए तुलना की गई है। एक होर्डिंग में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पैतृक गांव में लगने वाले सैफई मेले में होते नाच गानें का चित्र है और कहा गया है कि 2017 से पहले सरकारी पैसे से नाच गाना होता था। इसके बराबर में दूसरे चित्र में भगवा रंग से लिखा गया है 2017 के बाद प्रदेश की तरक्की में सरकारी पैसे खर्च होते हैं, और विकास कार्यों के चित्र बनाए गए हैं।
इसी प्रकार अन्य होर्डिंग में अखिलेश के कार्यकाल में सरकारी धन के बंदरबांट और महिलाओं के असुरक्षित वातावरण में रहने का आरोप लगाते हुए चित्र प्रदर्शित किए गए हैं और इनके साथ ही भाजपा के कार्यकाल में महिला हिंसा के खिलाफ खड़ी पुलिस को चित्रित किया गया है।
हालंकि इन होर्डिंग्स में किसी भी दल का नाम नहीं लिखा गया है लेकिन पिछले सरकार बदलने के साल का जिक्र करके, सपा विरोधी चित्र में लाल टोपी लगाए अखिलेश को दिखाकर और भाजपा के पक्ष वाले चित्रों में भगवा रंग दिखा कर इशारा साफ है कि ये आरोप भरे तंज किसके खिलाफ हैं और किसकी प्रशंसा की जा रही है।
जैसा कि अगले माह उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव होने हैं ऐसे में सरकारी भवनों में इस तरह की प्रचार सामग्री और वो भी शासन के राजकीय चिन्ह के साथ कई सवाल खड़े करता है। हालांकि होर्डिंग्स में न तो सूचना विभाग और न ही स्वास्थ्य विभाग का नाम दिया गया है लेकिन राजकीय चिन्ह वाली होर्डिंग्स की सरकारी परिसर के भीतर मौजूदगी इसके मायने साफ कर देती है ।
इस बाबत जब अस्पताल प्रशासन से बात करनी चाही तो वे टिप्पणी देने के लिए उपलब्ध नहीं हुए लेकिन दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के विधायक अमिताभ बाजपेई ने उत्तर प्रदेश शासन की इस हरकत को बेजा और संवैधानिक परंपराओं के विरुद्ध बताया है।
बाइट;अभिताभ बाजपेई विधायक समाजवादी पार्टी
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