दिल्ली। राष्ट्रीय रोजगार सम्मेलन मे आये देश भर के 200 से अधिक प्रमुख छात्र संगठन, युवा संगठन, शिक्षक संगठन, ट्रेड यूनियन, किसान यूनियन, महिला संगठन, LGBTIQ+, पत्रकार संगठन, दलित संगठन, आदिवासी संगठन, NGO's आदि संगठनों की सयुंक्त रोजगार आंदोलन समिति (SRAS) बनी I
पिछले वर्ष दिल्ली की जंतर मंतर पर हुई रोजगार संसद की तर्ज पर, 1 मई से 26 जून तक सभी राज्यों मे होगा रोजगार संसद का आयोजन I
1 जुलाई से 31 जुलाई तक पुरे देश मे विश्वविद्यालय, कॉलेज, एवम तहसील व जिला स्तर पर निकली जाएगी रोजगार संवाद यात्रा I
बेरोजगारी के खिलाफ राष्ट्रीय आन्दोलन की रूप रेखा बनाने को लेकर दो दिवसीय राष्ट्रीय रोजगार सम्मेलन का समापन दिल्ली के शाह ऑडिटोरियम सिविल लाइन्स मे हुआ, जिसमे निर्णय लिया गया की 16 अगस्त से दिल्ली मे शुरू होगा बेरोजगारी के खिलाफ राष्ट्रीय रोजगार आन्दोलन I
मुख्य अतिथि रहे गोपाल राय ने कहा बेरोजगारी के समाधान के लिए राष्ट्रीय रोजगार नीति बनाना वक्त की मांग, देश बेरोजगारी के भयावह संकट से जूझ रहा है । बड़ी- बड़ी डिग्रियां लेकर भी युवा आज काम के लिए दर -दर भटक रहे हैं । रोजगार का नया सृजन करना तो दूर देशभर में लाखों खाली पड़ी सरकारी वेकैंसी पर भी भर्ती नहीं की जा रही है, इसके उलट भर्ती की जगह युवाओंको लाठियां मिल रही है अभी हाल ही मे पुरे देश ने देखा की किस तरह रेलवे RRB-NTPC की भर्ती को लेकर छात्रों के उपर बर्बर दमन किया गया I जहाँ भर्ती हो भी रही है, ठेकेदारी व्यवस्था के तहत हो रही है, जहाँ मिनिमम वेज इतना कम है की जिससे काम करने के बावजूद भी लोगो को सम्मानपूर्वक जीवन जीना मुश्किल हो रहा है, प्राइवेट सेक्टर मे भी रोजगार के नए अवसर पैदा होने की जगह छटनी की तलवार लोगों के सर मंडरा रही है I वहीं हम देख रहे है की देश के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानून बनवाने के लिए संघर्ष करने को मजबूर हैं I जहाँ तक देश की आधी आबादी महिलाओं का प्रश्न है उनकी आर्थिक मजबूती के लिए सरकार के पास कोई कार्ययोजना नही है I
बेरोजगारी की समस्या के समाधान के लिए भारत में आजादी के बाद जिस तरह की नीतियां बनाने की जरूरत थी, हमारी अब तक की सरकारों ने वैसी नीतियां नही बनाई। यही वजय है कि आजादी के सात दशक से ज्यादा वक्त गुजर जाने के बाद भी हमारे देश में राष्ट्रीय रोजगार नीति नहीं बन पाई है I पहले से ही बेरोजगारी की मार झेल रही हमारी अर्थव्यवस्था को कोरोना ने और आधिक चिंताजनक स्तिथि मे पहुचां दिया I आज बेरोजगारी की समस्या ना सिर्फ गांव के लोगों की है बल्कि जो लोग बड़े-बड़े शहरों में रहते हैं, उनकी भी समस्या है I चाहे कोई किसी भी जाति में पैदा हुआ हो, किसी भी धर्म को मानने वाला हो, किसी भी भाषा को बोलने वाला हो, चाहे कोई किसी भी क्षेत्र का रहने वाला हो, चाहे महिला हो, पुरुष हो या फिर ट्रांस जेंडर, कोई भी बेरोजगारी की इस मार से नहीं बच पाया है I
गोपाल राय ने कहा पिछले कई वर्षों से बेरोजगारी व आर्थिक समस्याओं को लेकर छात्र, युवा, मजदूर, किसान, महिलाएं सहित देश के तमाम संगठन अलग-अलग तरीके से संघर्ष कर रहे हैं लेकिन केंद्र की सरकार सुनने को तैयार नहीं है ऐसे समय में ये वक्त की जरूरत है कि बेरोजगारी के खिलाफ सभी संगठन मिलकर राष्ट्रीय आंदोलन की पहल करें I
राष्ट्रीय रोजगार सम्मेलन मे आये देश भर के 200 से अधिक प्रमुख छात्र संगठन, युवा संगठन, शिक्षक संगठन, ट्रेड यूनियन, किसान यूनियन, महिला संगठन, LGBTIQ+, पत्रकार संगठन, दलित संगठन, आदिवासी संगठन, NGO's आदि संगठनों की सयुंक्त रोजगार आंदोलन समिति (SRAS) बनी, SRAS के सभी सदस्यों ने देश भर के अन्य संगठनो को रोजगार आंदोलन मे जोड़ने की सामूहिक जिम्मेदारी ली I
पिछले वर्ष दिल्ली की जंतर मंतर पर हुई रोजगार संसद की तर्ज पर, 1 मई से 26 जून तक सभी राज्यों मे होगा रोजगार संसद का आयोजन, जिसमें वहाँ के सभी संघर्षरत संगठन शामिल होंगे, जिसका विवरण इस प्रकार है:
तारीख स्थान राज्य
01.05.2022 जयपुर राज्यस्थान
08.05.2022 भोपाल मध्यप्रदेश
08.05.2022 रोहतक हरियाणा
08.05.2022 राँची झारखण्ड
15.05.2022 भुवनेश्वर ओड़िशा
22.05.2022 लखनऊ उत्तर प्रदेश
22.05.2022 त्रिवंदंपुरम केरला
22.05.2022 अमृतसर पंजाब
22.05.2022 रायपुर छत्तीसगढ़
22.05.2022 चेन्नई तमिलनाडु
05.06.2022 बेंगलोरे कर्नाटक
05.06.2022 कोलकत्ता पश्चिम बंगाल
12.06.2022 श्रीनगर जम्मू-कश्मीर
12.06.2022 शिमला हिमाचल प्रदेश
12.06.2022 हेदराबाद तेलंगाना & आँध्रप्रदेश
12.06.2022 गुवाहाटी असम
12.06.2022 पटना बिहार
19.06.2022 अहमदाबाद गुजरात
19.06.2022 देहरादून उत्तराखंड
19.06.2022 पंदजी गोंवा
26.06.2022 मुंबई महाराष्ट्र
1 जुलाई से 31 जुलाई तक पुरे देश मे विश्वविद्यालय, कॉलेज, एवम तहसील व जिला स्तर पर रोजगार संवाद यात्रा निकली जाएगी, जिसमें वहाँ के सभी संघर्षरत संगठन शामिल होंगे I
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