Hot Posts

6/recent/ticker-posts

पुरानी पेंशन बहाली के फायदे


  इस समय पुरानी पेंशन का मुद्दा हर जगह छाया हुआ है राजस्थान छत्तीसगढ़ और झारखंड एनपीएस को बंद कर पुरानी पेंशन बहाल करने की घोषणा कर चुका है दिल्ली के मुख्यमंत्री नेवी पुरानी पेंशन की घोषणा कर दी है मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पुरानी पेंशन की तरफ बढ़ रहे हैं ऐसे में कर्मचारियों द्वारा अनवरत संगठनों के माध्यम से पुरानी पेंशन को लेकर धरने प्रदर्शन समय-समय पर होते रहते हैं जिसमें बहुत सारी क्षति भी होती है वह भी होता है कार्य बाधित होता है आखिर यह कर्मचारी भी तो देश के ही नागरिक हैं।

प्रश्न यह है कि अपनी पूरी जवानी सरकार की सेवा करने के बाद बुढ़ापे में कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देना क्यों गलत है जबकि कर्मचारी को वृद्धावस्था में ही पेंशन की ज्यादा जरूरत होती हैदूसरा प्रश्न यह उठता है कि 2004 में बाजपेई सरकार ने जब पेंशन व्यवस्था को बंद किया तो विधायकों और सांसदों का भी बंद होना चाहिए था फिर एक ही देश में दोहरा आदेश कहां तक न्याय संगत है जिसे कर्मचारी किसी भी परिस्थिति में पचाने को तैयार नहीं है पेंशन की इस नई योजना में सरकारी कर्मचारी के वेतन और महंगाई भत्ते के 10 परसेंट राशि की कटौती होती है और लगभग 14% धन राशि जमा सरकार को करना होता है।

 इस प्रकार कर्मचारी के वेतन के सापेक्ष 24 प्रतिशत धनराशि को शेयर बाजार में लगा दी जाती है जिसका उपयोग निजी कंपनियां करती हैं न कि सरकार ऐसे में यदि पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल कर दिया जाए तो सरकारी कर्मचारियों के वेतन से 10% उनके सामान्य भविष्य निधि खाते में जमा होगा और सरकार को कोई भी अंश नहीं देना होगा इस प्रकार सामान्य भविष्य निधि खाते में जमा धन लोक लेखा भाग का होता है जो लंबे समय तक सरकार के पास जमा होता है इसका उपयोग सरकार बड़ी परियोजनाओं में कर सकती है।

 बड़ी परियोजनाओं के निर्माण से जहां एक तरफ रोजगार का सृजन होगा वहीं दूसरी तरफ सरकार को आर्थिक लाभ होगा  यदि राज्य सरकार है पुरानी पेंशन योजना बहाल करती हैं तो ऐसी दशा में राज्य सरकार सेतत्काल कर्ज का बोझ कम होना शुरू हो जाएगा क्योंकि कुल वेतन का 14% राज्य सरकारी खजाने से निकलने वाला हजारों रुपए बचेगा दूसरी तरफ 10% सामान्य भविष्य निधि के रूप में हजारों करोड़ों रुपया सरकार के खाते में जमा होगा इससे होने वाले लाभांश का उपयोग सरकारें कर सकती हैं और सभी राज्य सरकार ने अपने कर्ज के बोझ से मुक्त हो सकती हैं ।

   पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल न होने से कर्मचारी जहां कर्मचारी मायूस रहते हैं और काम करने में कम रुचि लेते हैं वही अगर पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल होती है तो निश्चित तौर पर वह दुगुने जोश के साथ काम करेंगे और देश का विकास दर भी दोगुना हो जाएगा ऐसे में देश तरक्की की तरफ अग्रसर होगा और सरकार का बोझ भी कम होगा  सरकार का यह कहना कि वैश्विक आर्थिक क्षेत्र में भारत के विकास के लिए पेंशन बाधक है पेंशन पर आने वाला खर्च बाधक है तो हर चीज का विकल्प होता है सरकार को चाहिए कि विकल्प के रूप में सांसद और विधायक के पेंशन में कटौती की जाए चुनाव में एक बड़ी राशि धनराशि देश में खर्च होती है जिस को बंद कराया जाए तथा सीधे तौर पर ऑनलाइन वोटिंग कराया जाए जिससे सरकार अब पैसे बच सके नेताओं को देने वाली सुविधाओं में कटौती की जाय बड़ी रैलियों में करोड़ों अरबों रुपए खर्च किया जाता है। उस पर पूर्णता पाबंदी लगाई जाय।

 इस प्रकार राष्ट्रीय वैश्विक बाजार में भारत के विकास को बढ़ाया जा सकता है पेंशन कहीं बीच में बाधक नहीं होगापेंशन के मुद्दे पर किसी भी दल को किसी प्रकार की राजनीति नहीं करनी चाहिए यह एक व्यवस्था है जिससे सभी कर्मचारी प्रभावित हैं सरकार को चाहिए कि सभी बातों से सभी आंकड़ों से ऊपर उठकर देश हित में कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल करें इसके बदले में अन्य कई घटक कार्य हैं जिन में संशोधन कर उसे सीमित किया जा सकता है तथा धन के अपव्यय को का जा सकता है जिससे पेंशन में देने वाले धन की क्षतिपूर्ति हो सके पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल करने से देश में एक संदेश जाएगा और कर्मचारी मन से पूरे मनोयोग से देश की सेवा करेंगे तो देश और तेजी से तरक्की करेगा और विश्व पटल पर भारत का नाम ऊंचा होगा और गौरवान्वित होगा।             


लेख:-  स्वतंत्र तिवारी पूर्व उपाध्यक्ष कानपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ और प्रदेश संगठन मंत्री प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन उत्तर प्रदेश

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ