रिपोर्ट: विकास बाजपेई
कानपुर नगर।कानपुर कमिश्नरेट पुलिस के थाना ग्वालटोली अंतर्गत चौकी खलासी के चौकी इंचार्ज विपिन बघेल बेजुबानओं के जख्मों पर मरहम लगाकर अनेक दुआएं अपने जीवन क्रम में संग्रहित कर ली है, दरअसल सड़क किनारे लाल रंग का श्वान अपने शरीर पर लगे जख्मों से बेहाल होकर पीड़ा का हर स्तर पार कर रहा था,बेजुबान के आंखों में दर्द के आंसू रूपी समुद्र सूखता जा रहा था... और बेजुबान के पेट की भूख उसके शरीर पर लगे जख्मों को और गंभीर और पीड़ादायक करती जा रही थी... रास्ते से निकलने वाले हर शख्स की ओर स्वान करुणा भरी नजरों से अपनी पूंछ हिलाते हुए सहायता के लिए पुकार रहा था!लेकिन हर सेकंड जीवन कि पगडंडी पर दौड़ती रेलगाड़ी में कोई भी रुक कर उसका दर्द
समझ कर अपने जीवन की दौड़ती गाड़ी में अवरोध उत्पन्न नहीं करना चाहता था,लेकिन तभी उसी सड़क से खलासी चौकी प्रभारी विपिन बघेल गुजरते हैं... और श्वान के जख्मों को देखते ही अपने वाहन को रोकते हैं..और तेज कदमों से स्वान कि और अपनी पग बढ़ा लेते हैं...चौकी इंचार्ज का श्वान की और हर बढ़ता पग...चौकी इंचार्ज की नजरों से श्वान के जख्मों को जितना साफ करना जा रहा था उतना ही उस तरफ स्वान कशमकश में था...कि सामने से आने वाला व्यक्ति उसका मित्र है, या दुश्मन!
वह उसको मारेगा य कुछ खाने को देगा। लेकिन जैसे ही कदमों की चाल श्वान के नजदीक जाकर जमीन पर बैठ जाती है,और अपना एक हाथ बाहर निकालते हुए श्वान के सर को सहलाने लगती हैं....श्वान को एहसास हो जाता है की यह उसका कोई दुश्मन नहीं, बल्कि मित्र है।
स्वान अपनी पूंछ हिलाते हुए... सामने बैठे मित्र की मित्रता स्वीकार कर लेता है।और जमीन पर बैठते हुए अपना हल्का सा सर ऊपर कर देता है. अब चौकी इंचार्ज को स्वान के शरीर पर लगा जख्म बहुत करीब से दिख रहा था। चौकी इंचार्ज पल भर में ही स्वान की पीड़ा का अंदाजा लगा चुके थे.... उन्होंने तत्काल अपने सहकर्मी को आदेश दिया कि वह अति शीघ्र जाए और स्वान के उपचार में उपयुक्त औषधि के साथ खाने से उपयुक्त सामग्री का प्रबंध कर वापस लौटे।और ऐसा ही उनका सहकर्मी करता है...जब तक सहकर्मी वाहन से उपचार में प्रयुक्त औषधि व खाद्य पदार्थ का इंतजाम करता है तब तक चौकी इंचार्ज श्वान की देखभाल करते हैं, और कुछ ही समय उपरांत जब चौकी प्रभारी का सहकर्मी वापस यथा स्थान पर लौटता है तो उनके हाथ में दवा और स्वान के खाने के लिए उपयुक्त सामग्री होती है।
अब चौकी इंचार्ज श्वान पर हाथ फेरते हुए हल्के से मरहम लगाते हैं और खाने के लिए उपयुक्त खाद पदार्थ देते हैं।स्वान हल्की सी आंख बंद कर अपनी पूंछ हिलाते हुए चौकी इंचार्ज का धन्यवाद व्यक्त करता हैं...और फिर इन सभी क्रियाओं के उपरांत चौकी प्रभारी और उनका सहकर्मी अपने वाहन पर बैठते हुए स्वान से दूर जाते हैं।और अब श्वान भी टकटकी बांधे हुए चौकी इंचार्ज के वाहन को निहारता रहता है....लेकिन कुछ ही पल में श्वान की आंखों से चौकी इंचार्ज की गाड़ी ओझल हो जाती है।
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