कैसे पढ़ेगा बच्चा कैसे बढ़ेगा बच्चा
-प्राइवेट स्कूलों की मनमानी आम आदमी के दुख की कहानी अभीकथन न्यूज़ की जुबानी
-आज कक्षा एक का बच्चा भी दस हजार का स्कूल बैग अपने कोमल कंधो पर लादकर चलता है।
-आज इतिहास बदलने से ज्यादा सरकारी स्कूलों की कार्यप्रणाली बदलने की जरूरत है।
जिस देश ने संपूर्ण विश्व को एक से एक महान विद्वान दिए आज उस देश में शिक्षा के मंदिर ब्यावासिक केंद्र बन गए है जहां देखो वहां लूट मची है चंद पैसों के लिए स्कूल संचालक अपनी मनमानी कर रहे है। हर स्कूल की अपनी नई किताब जिसका रेट बेहिसाब ऐसे में आम आदमी अपने बच्चों की उच्च शिक्षा केवल सपनो में ही करा सकता है।
आज हर प्राईवेट स्कूल किताबो ड्रेस और टाई बेल्ट की दुकान खोल कर बैठा है और सबके अपने रेट निर्धारित है आज कक्षा एक का बच्चा भी दस हजार का बैग अपने कोमल कंधो में लाद कर चलता है।
प्राईवेट स्कूलों की इस मनमानी के आगे वर्तमान सरकार भी नतमस्तक है ऐसे में कई परिवारों के बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे है न जानें क्यों सरकार ये सब होते हुए क्यों देख रही है आखिर क्यो एक स्कूल एक कक्षा एक किताब का प्रावधान पारित नही किया जा रहा है।
सरकारी स्कूलों की दुर्दशा के कारण कई अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना नही चाहते मोटी तनख्वाह लेने के बाद भी कई कई टीचर सरकारी स्कूलों में ड्यूटी के नाम पर टाइमपास कर रहे है कई टीचर तो स्वयं पढ़ाने के योग्य नही है जिसका उदाहरण कई बार सोसल मिडिया के माध्यम से देखा जा चुका है।
आज आम आदमी वर्तमान सरकार से एक ही मांग करता है के अब प्राईवेट स्कूलों की मनमानी बंद की जाएं और पाठ्यक्रम के लिए सरकार द्वारा निर्धारित किताबे ही हर स्कूल में पढ़ाई जाएं।
0 टिप्पणियाँ