समुद्र में तूफान आने का एक बड़ा कारण है ग्लोबल वार्मिंग. IPCC की एक रिपोर्ट में भी बताया गया है कि ग्रीनहाउस गैसों के कारण बढ़ने वाली गर्मी का 93 प्रतिशत समंदर सोख लेते हैं.
चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’ को लेकर इस समय देश के देश पश्चिमी तटीय इलाकों में अलर्ट जारी है. तूफान के दौरान दौरान तेज हवाएं व बारिश होने की उम्मीद है. मौसम विज्ञानियों के अनुसार, तूफान से मुंबई, गोवा, पोरबंदर और कराची शहर सहित आसपास के इलाके प्रभावित हो सकते हैं. मौसम विभाग का कहना है कि यह इस साल अरब सागर में आया पहला चक्रवाती तूफान है. आइए आज जानते हैं कि समुद्र में आखिर ऐसा क्या होता है, जो वहां से अक्सर इतने भयंकर तूफान उठकर चलते हैं और फिर धरती पर आकर तबाही मचा देते हैं.
अरब सागर में कम आते हैं तूफान
एक रिपोर्ट की मानें तो इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटेरियोलॉजी के वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल कहते हैं कि बंगाल की खाड़ी में अरब सागर की तुलना में ज्यादा तूफान आते हैं. लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब अरब सागर भी गर्म हो रहा है. जिस कारण यहां से भी ज्यादा तीव्रता वाले चक्रवात बन रहे हैं.
समुद्र में क्यों बनते हैं तूफान
दरअसल, समुद्रों में तूफान आने का एक बड़ा कारण है ग्लोबल वार्मिंग. IPCC की एक रिपोर्ट में भी बताया गया है कि ग्रीनहाउस गैसों के कारण बढ़ने वाली गर्मी का 93 प्रतिशत समंदर सोख लेते हैं. जिस वजह से समुद्रों का तापमान भी हर साल बढ़ रहा है. ऐसे में, यहां पर बनने वाले बिपरजॉय जैसे उष्णकटिबंधीय चक्रवाती तूफानों की संख्या और भीषणता भी बढ़ जाती है.
बिपरजॉय जैसे चक्रवाती तूफान समुद्रों के गर्म भाग के ऊपर ही बनते हैं. इस हिस्से का औसत तापमान 28 डिग्री सेल्सियस से अधिक ही रहता है. ऐसे में तूफान गर्मी से ऊर्जा इकट्ठा करते हैं और समुद्र से नमी खींच लेते हैं. जिसके बाद पर्याप्त ऊर्जा होने बाद ये बनकर आगे बढ़ना शुरू करते हैं. जिसके बाद ये धरती पर आकर भीषण तबाही मचा देते हैं.
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत में आने वाली मौसम से जुड़ी आपदाओं की जानकारी पहले ही सटीकता के साथ मिल जाती है. जिससे राहत एवं आपदा बचाव टीम लोगों को समय रहते सुरक्षित कर देती है.
एस एन पाण्डेय,कृषि मौसम वैज्ञानिक
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