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आदिवासी समाज के द्वारा गुरुवार को विरांगाना महारानी दुर्गावती की जयंती धूमधाम के साथ मनाई गई


आदिवासी समाज के  द्वारा गुरुवार को विरांगाना महारानी दुर्गावती की जयंती धूमधाम के साथ मनाई गई



सिलवानी- आदिवासी अंचल ग्राम प्रतापगढ़ में आदिवासी समाज के  द्वारा गुरुवार को विरांगाना महारानी दुर्गावती की जयंती धूमधाम के साथ मनाई गई। 

आदिवासी अंचल ग्राम प्रतापगढ़ के चौराहा पर आयोजित प्रतिमा स्थल पर   गोंड समाज के कई पदधारी उपस्थित थे। मौके पर आदिवासी नेता नीलमणी शाह ने अपने संबोधन में कहा कि रानी दुर्गावती भारतीय इतिहास में एक ऐसा नाम है जिसकी पहचान देश के प्रसिद्ध विरांगानाओं में होती है। उन्होंने महारानी दुर्गावती जन्म पांच अक्तूबर 1524 में चंदेल राजपूताना के महोबा राजा घर में हुआ था। बचपन से ही रानी दुर्गावती हथियार चलाने, घोड़सवारी करने आदि का शोक रखती थी। रानी दुर्गावती के साहस की चर्चा बचपन से ही होते रहती थी।

युवावस्था में रानी दुर्गावती का विवाह गोड राजा दलपत शाह के साथ हुआ। दलपत शाह के निधन के बाद महारानी दुर्गावती ने राजकुमार वीर नारायण के छोटे होने के कारण खुद राजकाज संभाला। महारानी दुर्गावती पूरे साहस एवं पराक्रम के साथ सफलता पूर्वक अपना राज्य चला रही थी कि इसी क्रम में 1564 ई. में मुगल शासक अकबर के निर्देश पर अब्दुल माजिद खान के नेतृत्व में मुगल सेना ने उनके राज्य पर हमला बोल दिया। महारानी दुर्गावती ने मुगल सेना का  सामना किया। और एक एक को मारते हुए आगे बढ़ती गई । लाकन इसी बीच उनका पुत्र और उनकी सहेली वीर गति को प्राप्त हो गए। इसके बाद खुद महारानी दुर्गावती हाथी में सवार होकर युद्ध स्थल पहुंची और पूरे साहस के साथ मुगल सेना के साथ युद्ध किया। युद्ध के दौरान मुगल सेना के दो तीरो से घायल होकर विरांगाना महारानी दुर्गावती ने भी वीर गति को प्राप्त किया। मौके पर समाज के लोगो ने महारानी के पदचिंहो पर चलने की बात कहते हुए समाज को संगठित रहने कि अपील की कार्यक्रम में

 मुख्य रूप से धर्मवीर सिंह ,नीलमणी शाह, गोरखपुर से वीरेंद्र राज, राकेश उइके, धर्मदास इमने, महेश काकोडिया, हरिलाल ठाकुर , राजू खमरिया मानपुर , अर्जुन ठाकुर, सूरज उइके, विजय पंड्राम, ब्रजेश कुढ़ापे, राजकुमार सल्लम, संजू सियरमऊ आदि सगा समाज के वरिष्ठ जन, युवा साथी मातृ शक्ति उपस्थित रहे !!

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