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कलेक्टर अरविंद दुबे की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में धर्मगुरूओं के साथ बैठक सम्पन्न

कलेक्टर  अरविंद दुबे की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में धर्मगुरूओं के साथ बैठक सम्पन्न

धार्मिक स्थलों एवं अन्य स्थलों पर लाउडस्पीकर/डीजे के ध्वनि सीमा स्तर से संबंधित शासन द्वारा जारी निर्देशों से कराया गया अवगत 

सभी धार्मिक स्थलों सहित अन्य स्थानों पर निर्धारित ध्वनि सीमा में ही किया जा सकेगा लाउडस्पीकरों/डीजे का उपयोग




उमेश चौबे, रायसेन।मप्र शासन द्वारा 13 दिसम्बर को सर्कुलर जारी कर मप्र कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 के प्रावधानों तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय, माननीय उच्च न्यायालय द्वारा समय-समय पर जारी दिशा निर्देशों का प्रभावी पालन कराने संबंधी निर्णय लिया गया है। जिले में धार्मिक एवं अन्य स्थलों पर लाउडस्पीकर, डीजे सहित ध्वनि विस्तार यंत्रों के उपयोग और ध्वनि सीमा स्तर के संबंध में शासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों से अवगत कराने हेतु कलेक्टर  अरविंद दुबे की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में सभी वर्गो के धर्मगुरूओं के साथ बैठक आयोजित की गई। कलेक्टर अरविन्द दुबे ने धर्मगुरूओं के साथ डीजे, लाउडस्पीकर सहित अन्य ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से होने वाले ध्वनि प्रदूषण के दुष्परिणामों पर चर्चा करते हुए कहा कि इनका अत्याधिक उपयोग अनेक बीमारियों का कारण बन रहा है। निर्धारित डेसीमल से अधिक ध्वनि विस्तार शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालता है। विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गो तथा मरीजों के लिए यह बेहद घातक होता है। 


कलेक्टर अरविन्द दुबे ने ध्वनि प्रदूषण एक बड़ी समस्या है जो कई मानसिक और शारीरिक बीमारियों का कारण बन रहा है। ध्वनि प्रदूषण हद्य एवं अन्य बीमारियों से ग्रसित मरीजों के लिए बेहद खतरनाक होता है। साथ ही बच्चों की पढ़ाई में भी व्यवधान करता है। जिसके दृष्टिगत प्रदेश में धार्मिक स्थल एवं अन्य स्थानों पर मप्र कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 के प्रावधानों तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय, माननीय उच्च न्यायालय द्वारा समय-समय पर जारी दिशा निर्देशों के अनुकम में राज्य शासन द्वारा निर्णय लिया गया है कि किसी भी प्रकार के धार्मिक स्थलों, धार्मिक यात्राओं, जुलूसों अथवा अन्य स्थलों पर निर्धारित मापदण्ड के अनुरूप ही ध्वनि विस्तारक यंत्रों (लाउडस्पीकर/डीजे) आदि का उपयोग किया जा सकेगा। ध्वनि प्रदूषण तथा कोलाहल नियंत्रण संबंधी अधिनियम, नियमों का संवाद और समन्वय के साथ प्रभावी पालन किया जाना है और इसमें धर्मगुरूओं की महत्वपूर्ण भूमिका है।  


बैठक में सभी धर्मगुरूओं को मप्र कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम आदि के बारे में बिन्दुवार विस्तृत जानकारी दी गई। बैठक में बताया गया कि ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम 2000 अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों जैसे औद्योगिक, वाणिज्यिक, रिहायसी व शांत क्षेत्र में दिन व रात के समय अधिकतम ध्वनि तीव्रता निर्धारित की गई है। जिसके तहत औद्योगिक क्षेत्र में दिन में 75 डेसीमल और रात्रि में 70 डेसीमल, वाणिज्यिक क्षेत्र में दिन के समय 65 डेसीमल और रात्रि के समय 55 डेसीमल, रिहायशी क्षेत्र में दिन के समय 55 डेसीमल और रात्रि के समय 45 डेसीमल तथा शांत (साइलेंस) क्षेत्र में दिन के समय 50 डेसीमल और रात्रि के समय 40 डेसीमल ध्वनि तीव्रता निर्धारित है। मोबाइल पर डेसिबल मीटर ऐप डाउनलोड कर कोई भी ध्वनि की तीव्रता को जाँच सकता है। बैठक में सभी धर्मगुरूओं से सुझाव भी आमंत्रित किए गए। सभी धर्मगुरूओं ने लाउडस्पीकर की संख्या सीमित रखते हुए निर्धारित ध्वनि सीमा के पालन की सहमति व्यक्त की है। बैठक में अपर कलेक्टर अभिषेक दुबे, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री कमलेश कुमार सहित जिले भर से आए धर्मगुरू शामिल हुए।

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