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तुम स्वयं भगवान है का जयकारा लगाते हुए संत तारण स्वामी के अनुयाईयो ने नगर में निकाला भव्य चल समारोह

तुम स्वयं भगवान है का जयकारा लगाते हुए संत तारण स्वामी के अनुयाईयो ने नगर में निकाला भव्य चल समारोह


तारण स्वामी के द्वारा विरचित ग्रंथो की निकाली शोभा यात्रा, श्रद्वालुओ ने  उतारी आरती, आकर्षक रंगोली भी सजाई



 उमेश चौबे,सिलवानी। 16 वी शताब्दी के महान अध्यात्मिक संत श्रीतारण तरण मंडलाचार्य महाराज की 575 वी जयंती नगर मंे तारण तरण जैन समाज के द्वारा बाल ब्रम्हचारी शांतानंद जी महाराज के सानिध्य में उत्साह पूर्वक मनाई गई। त्रिदिवसीय कार्यक्रम के द्वितीय दिवस मंगलवार को नगर में भव्य शोभायात्रा निकाली गई। इससे पूर्व तारण तरण जैन चैत्यालय में धर्म प्रभावना के विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए । यहां पर बाल ब्रम्हचारी शांतानंद जी महाराज ने श्रीतारण तरण मंडलाचार्य महाराज के व्यक्त्वि व कृतित्व पर प्रकाष डाला तथा उनके बताए मार्ग का अनुषरण करने व उनके द्वारा विरचित 14 ग्रंथो का स्वाध्याय करने समाजजनो को प्रेरित किया।



दोपहर के समय चैत्यालय से भव्य शोभायात्रा निकाली गई। चांदी जडित पालकी में तारण स्वामी के द्वारा लिखित ग्रंथो को विराजमान किया गया।  पालकी को समाजजन श्रद्वा पूर्वक कंधे पर उठाए तारण स्वामी का शुभ संदेष तूं स्वंय भगवान है, का जयकारा लगा रहे थे। अनेको स्थानो पर समाजजनो तथा विभिन्न संगठनो व समाजसेवियो के द्वारा मॉ जिनवाणी की आरती उतारी गई। चल समारोह में जैन व्यायाम शाला के सदस्य कसरती करतवो का प्रदर्षन करते हुए चल रहे थे, साथ ही तारण तरण कीर्तन मंडल के सदस्य ढोलक, हारमोनियम, झांझ, मंजीरो की लय व ताल पर कीर्तन कर रहे थे बल्कि महिलाए मंगल भजनो का गायन कर चल समारोह को सार्थकता प्रदान कर रही थी। रात्रि में महाआरती का आयोजन किया गया।  प्रभारानी जैन, राजीव समैया भूरा सेठ व संजय समैया बल्ले भैया के निवास से महाआरती का चल समारोह निकाला गया जो कि चैत्यालय पहुंच कर समाप्त हो गया, यहां पर आरती का कार्यक्रम पूर्ण किया गया। आरती की समाप्ति के बाद पालना का कार्यक्रम पूर्ण किया गया। सुबह के समय तारण त्रिवेणी के अखण्ड पाठ का समापन किया गया तत्पष्चात प्रवचन का कार्यक्रम संपन्न हुआ। इसके बाद चैत्यायल जी में नव निर्मित 14 वेदीजी पर तारण स्वामी के द्वारा विरचित 14 ग्रंथो को विराजमान किए जाने की कार्रवाही संपन्न की जाकर बोली के माध्यम से समाजजनो के नाम तय किए। सभी कार्यक्रर्मो में बड़ी संख्या में समाजजन शामिल रहे।

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