वैद्य बालेन्दु प्रकाश को मिला भारतीय पेटेंट
आयुर्वेदिक औषधि को पाया गया घातक रोग पैंक्रियटाईटिस की चिकित्सा में लाभकारी
वर्ष 2014 में दाखिल किया गया था आवेदन
वर्षों की जाँच पड़ताल के बाद किसी नयी खोज को मिलता है पेटेंट
AB डिजीटल डेस्क-पद्मश्री से अलंकृत, भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ के आर नारायणन के मानद चिकित्सक और हाल में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानको के आधार पर प्रोफेसर की पदवी से उपाधित उत्तराखण्ड निवासी वैद्य बालेन्दु प्रकाश को घातक और जानलेवा रोग क्रानिक पैंक्रियटाईटिस की सफल चिकित्सा में ताँबा पारद गंधक के योग को आयुर्वेद के रस शास्त्र में वर्णित गंधक जारणा के सिद्धांतों के अनुसार एक नये रूप में पेश करने के लिए भारत सरकार ने बीस वर्षों के लिए पेटेंट से नवाज़ा है।
वर्तमान में क्रानिक पैंक्रियटाईटिस का कोई इलाज नहीं है और इससे पीड़ित रोगी ताउम्र समय समय पर इमरजेंसी इलाज के लिए अस्पतालों के चक्कर काटते रहते है और उनका ख़ान पान में सख़्त परहेज़ से रहना पड़ता है। इसके बावजूद इस बीमारी से अकाल मृत्यु की संभावना बनी रहती है। ज़्यादातर युवाओं में होने वाली इस बीमारी के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। और इनमें बीस प्रतिशत को काल क्रम में पैंक्रियास का कैंसर हो जाता है।
सत्तर के दशक में मेरठ निवासी स्वर्गीय वैद्य चंद्र प्रकाश द्वारा पहली बार उपरोक्त फार्मूला विकसित कर उसका लाभ पैंक्रियास के रोगों में स्थापित किया गया था। उनके पुत्र वैद्य बालेन्दु ने समयानुसार उस फार्मूला का देश के उत्तम अनुसंधान केंद्रों के सहयोग से संशोधन और विकास किया और पैंक्रियटाईटिस रोग से पीड़ित रोगियों की चिकित्सा के लिए पहले देहरादून और फिर रूद्रपुर में आयुर्वेदिक विशिष्ठ चिकित्सा केंद्र की स्थापना कर देश एवं विदेशी के कोने कोने से आने वाले लगभग 2000 रोगियों की चिकित्सा की जा रही है।
आयुर्वेद स्वास्थ्य प्रणाली में एक वैद्य को अच्छी औषधि निर्माण विधि से निर्मित औषधियों के साथ-साथ, लिपीबध तरीके से किसी भी असाध्य रोग के इलाज को प्रमाणित करना भी जरूरी है। यह उपलब्धि आयुर्वेद जगत में एक नवाचार है। संस्थान, एकल प्रयोग और विज्ञान के समागम से यह पेटेंट आयुर्वेद की किसी औषधि को पहली बार दिया गया है। इस पेटेंट से वैज्ञानिक समुदाय का आयुर्वेद के रस शास्त्र के दोहन के प्रति रुझान बढ़ेगा और इसके समग्र विकास से मानवता को कई लाइलाज रोगियों की चिकित्सा मिल सकेगी। इसके साथ औषध विज्ञान के क्षेत्र में भारत अग्रणी भूमिका निभा सकेगा।
पेटेंट का महत्व
पेटेंट एक अधिकार है जो किसी व्यक्ति या संस्था को किसी बिल्कुल नई सेवा, तकनीकी, प्रक्रिया, उत्पाद या डिज़ाइन के लिए प्रदान किया जाता है, ताकि कोई उनकी नक़ल नहीं तैयार कर सके। दूसरे शब्दों में पेटेंट एक ऐसा कानूनी अधिकार है, जिसके मिलने के बाद यदि कोई व्यक्ति या संस्था किसी उत्पाद को खोजती या बनाती है तो उस उत्पाद को बनाने का एकाधिकार प्राप्त कर लेती है।
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